मानवीय संविधान

by A Nagraj

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  • मानव अपने बल के साथ दया पूर्वक सुखी होने का उत्सव
  • रूप में सच्चरित्रता पूर्वक सुखी होने का उत्सव
  • धन के साथ उदारता पूर्वक सुखी होने का उत्सव
  • पद के साथ न्याय पूर्वक सुखी होने का उत्सव
  • बुद्धि के साथ ज्ञान-विवेक-विज्ञानपूर्वक सुखी होने का प्रखर प्रदर्शन प्रेरक होता है।
  • साहित्य-कला प्रदर्शन
  • समाधान, समृद्धि सम्पन्न परिवार व्यवस्था का प्रखर प्रदर्शन, प्रकाशन प्रेरकता है।
  • मानवीयतापूर्ण मानसिकता का प्रखर प्रकाशन प्रदर्शन प्रेरणात्मक होना स्वाभाविक है।
  • सहअस्तित्व में चारों पद अवस्था व संबंधों को उपयोगिता-पूरकता के अर्थ में प्रखर प्रदर्शन-प्रकाशन।
  • सहअस्तित्व में चारों पद ‘त्व’ सहित व्यवस्था के अर्थ में प्रखर प्रदर्शन-प्रकाशन प्रेरक है।
  • जागृत मानव परंपरा के अर्थ में किया गया नृत्य व गीत-संगीत, सभी प्रकार के वाद्यों, नृत्यों का प्रखर प्रदर्शन प्रकाशन प्रेरणादायी है।
  • जागृति परंपरा वैभव घोषणा

नित्य उत्सव

  • मानवीयतापूर्ण आचरण सहित व्यवहार व उत्पादन कार्य नित्य उत्सव है।
  • मानवीयतापूर्ण विचारों का अभिव्यक्ति सम्प्रेषणा प्रकाशन नित्य उत्सव है।
  • मानवीयता सहज आहार-विहार-व्यवहार नित्य उत्सव है।
  • जागृत मानव परंपरा में दृष्टा पद में नित्य उत्सव है।

जागृति सहज विधि से मानवीयता, देव मानवीयता और जागृति पूर्ण विधि से दिव्य मानवीयता पूर्वक सर्व शुभ घटना सहज परंपरायें नित्य उत्सव है।