मानवीय संविधान
by A Nagraj
Page 170
- लिए सत्यापन और शोध संभावना आवश्यकताओं पर कार्य गोष्ठी परिवार समूह सभा के द्वारा निर्णयों को लिपिबद्ध करना।
- मानवत्व, मानवीयता पूर्ण आचरण और दश सोपानीय अथवा मानव व्यवस्था का सर्व सुलभ होना ही ज्ञानावस्था सहज, मानव सहज अपेक्षा व आवश्यकता व प्रयोजन है। इसलिये इसकी प्रमाण परंपरा ही स्वराज्य व स्वतंत्रता पूर्ण वैभव है।
- प्रत्येक परिवार में न्याय-सुरक्षा, समझदारी सहित ईमानदारी जिम्मेदारी व भागीदारी का संयुक्त रूप में मूल्यांकन है।
- कहीं भी सुधार की आवश्यकता होने पर परिवार में सुधार हो इसलिए परिवार समूह सभा व ग्राम सभा क्रम से दायी है।
- हर वर्ष अथवा वर्ष में दो बार उत्सव न्याय-सुरक्षा उत्सव सम्पन्न होना रहेगा।
- नित्य-उत्सव
हर नर-नारी स्वयं में विश्वास, श्रेष्ठता का सम्मान करने में सहज होने का घोषणा
- स्वयं में विश्वास होना समझदारी सहज क्रियाकलाप उत्सव
- श्रेष्ठता का सम्मान करना - उत्सव
- प्रतिभा सम्पन्नता - उत्सव
- व्यक्तित्व सहज प्रमाण - उत्सव
- व्यवहार में समाजिक होना - उत्सव
- व्यवसाय (उत्पादन कार्य) में स्वावलम्बन सहज - उत्सव
अमानव के लिये मानव, मानव के लिए देवमानव, देवमानवत्व के लिए दिव्य मानव, दिव्यमानवत्व के लिए दश सोपानीय व्यवस्था तंत्र में भागीदारी क्रम में परम श्रेष्ठता की परंपरा व सम्मान व्यवस्था सहज व्यवस्था।
- शोध - नित्य उत्सव - अनुसंधान
- व्यवहार व आचरण सुगमता के अर्थ में
मानवीय शिक्षा-संस्कार सुगम परंपरा के अर्थ में