मानवीय संविधान
by A Nagraj
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- हर नर-नारी जागृति पूर्वक व्यवस्था में जीना नित्य उत्सव है।
सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी ही मानवीय आचार संहिता रूपी संविधान सूत्र व्याख्या नित्य उत्सव है।
संविधान हर नर-नारी का स्वत्व-स्वतंत्रता-अधिकार सहज अभिव्यक्ति, सम्प्रेषणा, प्रकाशन नित्य उत्सव है। मानवीयतापूर्ण आचरण जागृत मानव सहज प्रमाण है। सर्वदेश-काल में स्थित सर्वमानव जागृति सहज सम्पन्न होना-रहना चाहते हैं। सर्वमानव अथवा प्रत्येक मानव सर्व शुभ सुख, सौन्दर्य सम्पन्नता सहित स्व कल्याण सर्वशुभ संपन्न होना-रहना नित्य उत्सव है।