मानवीय संविधान

by A Nagraj

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  • सच्चरित्र रूप के साथ स्वीकृति को संज्ञानीयता में नियंत्रित संवेदना के रूप में सार्थक है।
  • संज्ञानीयता सहज स्वीकृति को सहअस्तित्व सहज ज्ञान-विवेक-विज्ञान सहज रूप में सार्थक है।
  • ज्ञान-विवेक-विज्ञान को सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व में अनुभव मूलक विधि से प्रमाणित करने के रूप में सार्थक है।
  • बल के साथ स्वीकृति दयापूर्वक जीने देते हुए जीने के रूप में सार्थक है।
  • धन के साथ उदारता की स्वीकृति तन-मन पूर्वक सदुपयोग के रूप में सार्थक है।
  • पद के साथ न्याय पूर्वक जीने की स्वीकृति समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व के अर्थ में सार्थक है।
  • बुद्धि के साथ ज्ञान सम्मत विवेक सहज स्वीकृति को मानवीय व्यवस्था, जीवन लक्ष्य को ज्ञान-विज्ञान-सम्मत विधि से सार्थक होने के रूप में समाधान है।
  • आज्ञापालन स्वीकृति सहयोग, अनुकरण कार्य के अर्थ में सार्थक है।
  • अनुशासन स्वीकृति को सहयोग, अनुसरण पूर्वक जागृति के अर्थ में सार्थक है।
  • स्वानुशासन स्वीकृति को जागृति, प्रमाणिकता प्रमाण के अर्थ में समाधान है।

विनिमय कोष कार्य व्यवस्था

स्वरूप

गाँव में हर तरह का विनिमय “विनिमय-कोष समिति” द्वारा संचालित “ग्राम स्वायत्त विनिमय-कोष” द्वारा किया जायेगा। विनिमय कोष ग्राम स्वराज्य सभा में से अंगभूत कार्यकलाप होगा। इसका अपना कार्य नीति संविधान सम्मत होगा। यह संस्था लाभ-हानि मुक्त व्यवस्था पर कार्य करेगी। इसका मुख्य उद्देश्य गाँव के प्रत्येक परिवार व्यक्ति द्वारा उत्पादित वस्तुओं का विनिमय करना व उनकी आवश्यकता अनुसार वस्तुओं का विनिमय करना होगा। साथ ही यह कोष “उत्पादन कार्य सलाह समिति” व “शिक्षा-संस्कार समिति” के साथ मिलकर कार्य करेगी व श्रम मूल्य आधारित नियम के आधार पर विनिमय में ध्यान देगी।