मानवीय संविधान

by A Nagraj

Back to Books
Page 127
  • नियंत्रण पूर्वक किया गया कार्य-व्यवहार समाधान है।
  • संतुलन पूर्वक किया गया कार्य-व्यवहार समाधान है।
  • न्याय पूर्वक किया गया कार्य-व्यवहार समाधान है।
  • स्थिति सत्य, वस्तु स्थिति सत्य व वस्तुगत सत्य विधि से जीना समाधान है।
  • सर्वतोमुखी समाधान को प्रमाणित करना सत्य पूर्ण है सर्वतोमुखी समाधान है।
  • अस्तित्व में अनुभव मूलक विधि से किया गया कार्य-व्यवहार समाधान है।
  • वीरता पूर्वक किया गया कार्य-व्यवहार व्यवस्था सहज प्रमाण एवं समाधान है।
  • धीरता पूर्वक किया गया कार्य-व्यवहार व्यवस्था सहज प्रमाण एवं समाधान है।
  • उदारता पूर्वक किया गया कार्य-व्यवहार व्यवस्था सहज प्रमाण एवं समाधान है।
  • समाधान
  • दयापूर्वक
  • कृपापूर्वक
  • करुणापूर्वक
  • नाम स्वीकृति को संबोधन अभ्युदय के अर्थ में सार्थक है।
  • जाति स्वीकृति (संस्कार) को मानव परिभाषा के अर्थ में सार्थक है।
  • धर्म स्वीकृति को सर्वतोमुखी समाधान अखण्ड समाज के अर्थ में सार्थक है।
  • शिक्षा पूर्वक स्वीकृति को, समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व में पारंगत होने के अर्थ में सार्थक है।
  • व्यवहार-कार्य स्वीकृति को संबंधों की पहचान आवश्यकता सहित, मूल्यों का निर्वाह, मूल्यांकन, परस्परता में तृप्ति समाधान संतुलन के अर्थ में सार्थक है।
  • सर्वशुभ स्वीकृति को अभ्युदय सर्वतोमुखी समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व सहज प्रमाण के अर्थ में सार्थक है।

स्वशुभ को सर्वशुभ में भागीदारी रहने के रूप में सार्थक है।