मानवीय संविधान

by A Nagraj

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  • परिवार में संबंधों की पहचान सहित मूल्यों का निर्वाह, मूल्यांकन, परस्परता में तृप्ति न्याय है।
  • परिवार सहज आवश्यकता से अधिक उत्पादन समृद्धि का प्रमाण न्याय है।
  • समाधान, समृद्धि सम्पन्न व्यवस्था सहज प्रमाण न्याय है।
  • जागृत मानव परिवार में समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, भागीदारी सहज एकरूपता सामाजिक अखण्डता सूत्र है। यह समाधान व न्याय है।
  • जिम्मेदारी, भागीदारी में निष्ठा सहज प्रमाण न्याय है।
  • परिवार सहज व्यवस्था परंपरा का प्रमाण न्याय है।
  • जागृत मानव परिवार में, से, के लिये हर एक सदस्य का समग्र व्यवस्था में भागीदारी करने के लिये निर्वाचित होने योग्य होना न्याय है।
  • परिवार सहज व्यवहार व्यवस्था में भागीदारी करने के लिए हर नर-नारी आत्मनिर्भर, स्वतंत्र, स्वयंस्फूर्त उत्साहित रहना न्याय है।
  • परिवार व ग्राम सहज वैभव की पहचान बनाये रखना, आगन्तुकों की पहचान करना न्याय है।

7.2 (15) परिवार-समूह-सभा में न्याय

  • दस जागृत मानव परिवार में से निर्वाचित दस सदस्य के परिवार समूह सभा का गठन न्याय है।
  • हर परिवार समूह सभा कार्य कर्त्तव्य रत हर सदस्य आत्मनिर्भर रहना न्याय है।
  • दस परिवार सहज संस्कृति-सभ्यता, विधि-व्यवस्था संबंधी पहचान किये रहना न्याय है।
  • हर सदस्य दस परिवार में संबंधों की सन्तुष्टि, समाधान, समृद्धि सहज प्रमाणों के प्रति जागृत रहना न्याय है।

कोई आगन्तुक व्यक्ति गाँव-मोहल्ले में होने का परिवार-ग्राम-मोहल्ला समितियों को पहचान कराने का अधिकार न्याय है।