मानवीय संविधान

by A Nagraj

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  • सभायें समितियों की कार्य प्रणालियों व कर्त्तव्यों का निर्धारण-निर्देशन करेगी। उसे हर समितियाँ स्वीकार पूर्वक कार्य व मूल्यांकन करने तथा निरीक्षण करने के अधिकार से सम्पन्न रहेगी, यह न्याय है।

ग्राम-मोहल्ला परिवार सभा में न्याय

  • (सभा-गठन) सदस्य :- दस परिवार समूह सभा में से एक-एक व्यक्ति निर्वाचित रहेंगे। ये सभी दस सदस्य आत्मनिर्भर परिवार में से होगें, यह न्याय है।
  • आत्मनिर्भरता का स्वरूप समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व में प्रमाण सहज सम्पन्न परिवार है। यह आचरणपूर्वक न्याय है।
  • ग्राम-मोहल्ला नाम पहले से रहता है अथवा नाम रख सकते हैं, यह न्याय है।
  • हर सदस्य मानवीयता पूर्ण आचरण सहज प्रमाण रूप में रहेंगे। यह न्याय है।
  • हर सदस्य स्वयं में विश्वास, श्रेष्ठता का सम्मान, प्रतिभा अर्थात् ज्ञान-विवेक-विज्ञान संपन्नता और व्यक्तित्व में संतुलन, व्यवहार में सामाजिक, उत्पादन कार्य रूपी व्यवसाय में स्वावलम्बन संपन्न परिवार प्रतिनिधि होना न्याय है।
  • ज्ञान सम्पन्नता = सहअस्तित्व रूपी अस्तित्वदर्शन ज्ञान, जीवन ज्ञान, मानवीयता पूर्ण आचरण ज्ञान प्रमाणित होना न्याय है।
  • विवेक सम्पन्नता = मानव लक्ष्य सहज स्वीकृति संपन्नता न्याय है।
  • विज्ञान = मानव लक्ष्य सर्वसुलभ होने में, से, के लिये निश्चित दिशा सहज पारंगत प्रमाण स्पष्ट रहना न्याय है।
  • सर्व मानव ज्ञानावस्था में गण्य है। अनुभवपूर्वक ज्ञान सम्पन्न रहना प्रमाण के रूप में सर्व शुभ के अर्थ में आवश्यक है यह न्याय है।

सभा सदस्यों में अधिकार समानता स्वरूप

सर्वतोमुखी समाधान समृद्धि प्रमाण सहित पाँचों समिति सहज कार्य गति में घटित समस्या का समाधान प्रस्तुत करने में निर्वाचित सभी दस सदस्यों का समानाधिकार स्वत्व स्वतंत्रता पूर्वक क्रियान्वयन न्याय है।

समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, भागीदारी में पारंगत प्रमाण होने का सत्यापन हर निर्वाचित सदस्य सत्यापित करेगा। परिवार के सभी सदस्य, निर्वाचित सदस्य मानवत्व