मानवीय संविधान

by A Nagraj

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  • हर सदस्य दसों परिवार के लोगों का समस्त उत्पादन-विनिमय कार्य में जागरूक-पूरक रहना न्याय है।
  • हर सदस्य सभी परिवारजन का जागृत रहने में ध्यान देना, आवश्यकता के अनुसार पूरक-उपयोगी होना न्याय है।
  • हर सदस्य का निपुणता-कुशलता-पाण्डित्य में पारंगत रहना न्याय है।
  • हर परिवार समूह सभा में से एक-एक सदस्य का निर्वाचन ग्राम-मोहल्ला-परिवार सभा गठन के लिये निर्वाचित करना न्याय है।

7.2 (16) ग्राम-मोहल्ला परिवार सभा में न्याय

  • दस परिवार समूह सभा से निर्वाचित दस सदस्यों की सभा गठित होगी जिसका नाम ग्राम-मोहल्ला परिवार सभा होगा। हर ग्राम-मोहल्ला का नाम रहता ही है। यह समाधान व न्याय है।
  • ग्राम-मोहल्ला-परिवार सभा के लिये निर्वाचित सभी सदस्य समान स्वत्व, स्वतंत्रता अधिकार सम्पन्न रहेंगे और आत्मनिर्भर रहेंगे। यह न्याय है।
  • आत्मनिर्भरता प्रत्येक जन प्रतिनिधि में समाधान-समृद्धि सम्पन्नता सहित स्वयं में विश्वास, श्रेष्ठता का सम्मान, प्रतिभा व व्यक्तित्व में संतुलन, व्यवहार में सामाजिक, उत्पादन रूपी व्यवसाय में स्वावलम्बी परिवार प्रतिनिधि रहेंगे। यह समाधान व न्याय है।
  • गांव मोहल्ले में कोई व्यक्ति पहुँचे तो वे पहले से पहचान अथवा चिन्हित अथवा सूचित रहेंगे। इसके अतिरिक्ति जो अपरिचित होंगे उनका परिचय पाने का अधिकार ग्राम-मोहल्ला-परिवार सभा के सभी सदस्यों को होगा। ऐसे लोगों की पहचान प्रमाण प्राप्त करने का अधिकार रहेगा यह न्याय है।

ग्राम सभा अपने स्वविवेक से पाँच समितियों के लिए स्थानीय प्रतिभा सम्पन्न व्यक्तियों को मनोनीत करेगी। वे सब आत्मनिर्भर परिवार के सदस्य होंगे। ये समितियां शिक्षा-संस्कार, न्याय-सुरक्षा, उत्पादन-कार्य , विनिमय-कोष, स्वास्थ्य-संयम कार्य संपादित करेंगे, यह न्याय है।