मानवीय संविधान

by A Nagraj

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  • हर नर-नारी समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, भागीदारी सहज सूत्र व्याख्या के रूप में जीना न्याय है।

7.2 (11) विनिमय में न्याय

तात्विक रूप में परिभाषा विनिमय :- नियम, नियंत्रण, संतुलन पूर्वक उत्पादित वस्तुओं का उपयोगिता-पूरकता विधि से आदान-प्रदान समाधान एवं न्याय है।

बौद्धिक रूप में परिभाषा विनिमय :- विकास व जागृति संगत उपयोगिता पूरकता सहज निरंतरता में, से, के लिए नियम, नियंत्रण, संतुलन विधि से उत्पादित वस्तुओं का श्रम मूल्य के आधार पर आदान-प्रदान समाधान एवं न्याय है।

व्यवहारिक रूप में परिभाषा विनिमय :- श्रम नियोजन, उपयोगिता प्रमाण, मूल्यांकन उपयोगिता के आधार पर श्रम मूल्य का आदान-प्रदान समाधान एवं न्याय है।

प्रणाली :- दश सोपानीय व्यवस्था में श्रम मूल्य का मूल्यांकन सामान्यीकरण परंपरा समाधान एवं न्याय है।

पद्धति :- विनिमय-कोष परंपरा एवं कोषों के परस्परता में समन्वयता समाधान एवं न्याय है।

नीति :- दश सोपानीय परिवार सभा में समन्वयता पूर्ण निश्चय आचरण परंपरा समाधान एवं न्याय है।

प्रयोजन :- लाभ-हानि मुक्त विनिमय और प्रत्येक परिवार में समृद्धि सहज प्रमाण, ज्यादा-कम से मुक्ति समाधान एवं न्याय है। समृद्धि ज्यादा-कम से मुक्ति है।

विनिमय में न्याय

  • हर जागृत मानव परिवार सहज आवश्यकता की पहचान न्याय है।
  • हर जागृत मानव परिवार में सहज आवश्यकता से अधिक उत्पादन करना न्याय है।
  • जागृत मानव परिवार में उत्पादित वस्तुओं का मूल्यांकन (श्रम+उपयोगिता = वस्तु मूल्य) करना न्याय है।

जागृत मानव परिवार में उत्पादित वस्तुओं का श्रम, उपयोगिता के आधार पर विनिमय करना न्याय है।