मानवीय संविधान

by A Nagraj

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  • समन्वित मूल्यांकन सम्पन्न सभी प्रधान राज्य सभायें विश्व राज्य सभा के साथ समन्वित रहना न्याय है।
  • विश्व परिवार सभा सहज मूल्यांकन दसों सोपानों के साथ समन्वित रहना न्याय है।

उपयोग, सदुपयोग, प्रयोजन न्याय (मूल्यांकन)

परिवार में उपयोग, सार्वभौम दश सोपानीय अखण्ड समाज में सदुपयोग, व्यवस्था में प्रयोजन है।

  • वस्तुओं का सदुपयोग करना, कराना, करने के लिए सहमत होना न्याय है।
  • वस्तुओं का आवश्यकता से अधिक उत्पादन करना, कराना, करने के लिए सहमत होना न्याय है।
  • उत्पादन सुगमता के लिए शोध पूर्वक प्रमाणित करना न्याय है।
  • उत्पादन में गति व गुणवत्ता में वृद्धि को प्रमाणित करना न्याय है।
  • जागृत मानव परिवार में आवश्यकतायें सीमित होना न्याय है।
  • वस्तुओं का उपयोग शरीर पोषण-संरक्षण के अर्थ में न्याय है।
  • वस्तुओं का सदुपयोग अखण्ड समाज के अर्थ में मानवीयता पूर्ण संस्कृति-सभ्यता सहज गति के रूप में होना न्याय है।
  • वस्तुओं का प्रयोजन सार्वभौम दश सोपानीय व्यवस्था में भागीदारी के अर्थ में नियोजन है। यह प्रमाणित होना न्याय है।
  • हर जागृत मानव परिवार में ही उपयोग, सदुपयोग, प्रयोजनीयता विधि पूर्वक समृद्धि का प्रमाण है। यह न्याय है।

7.2 (10) संस्कृति-संस्कार में न्याय

  • अखण्ड समाज के अर्थ में मूल्यों को प्रमाणित करना न्याय है।
  • सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी मूल्यों का प्रमाण न्याय है।

मानवीयतापूर्ण आचरण मूल्यों का प्रमाण न्याय है।