मानवीय संविधान

by A Nagraj

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  • गठनपूर्णता सहज जीवन क्रियापूर्णता के अर्थ में कायिक-वाचिक-मानसिक, कृत-कारित-अनुमोदित विधियों से की गई सम्पूर्ण कृतियाँ, मानव संस्कृति-सभ्यता सहज रुप में न्याय है।
  • सहअस्तित्व विधि से मानवत्व सहित जीना संस्कृति न्याय है।
  • अखण्ड समाज सूत्र व्याख्या रूप में जीना सभ्यता सहज न्याय है।
  • स्वयं में ज्ञान, विवेक, विज्ञान रूप में व्यवस्था सहज विधि से जीना न्याय है।
  • सहअस्तित्व सहज यथार्थता, वास्तविकता, सत्यता को जानना, मानना, पहचानना, निर्वाह करना के रूप में जीना न्याय है।
  • सर्वतोमुखी समाधान सूत्र व्याख्या में जीना न्याय है।
  • मानवीयता पूर्ण सूत्र व्याख्या में जीना न्याय है।
  • दश सोपानीय व्यवस्था सूत्र व्याख्या में जीना न्याय है।
  • समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व सूत्र व्याख्या में जीना न्याय है।
  • स्वयं में विश्वास सूत्र व्याख्या में जीना न्याय है।
  • श्रेष्ठता का सम्मान सूत्र व्याख्या में जीना न्याय है।
  • प्रतिभा सहज सूत्र व्याख्या में जीना न्याय है।
  • मानवीयता पूर्ण व्यक्तित्व सहज सूत्र व्याख्या में जीना न्याय है।
  • मूल्य, चरित्र, नैतिकता सूत्र व्याख्या में जीना न्याय है।
  • आवश्यकता से अधिक उत्पादन कार्य का नियम, नियंत्रण, संतुलन सूत्र व्याख्या में जीना न्याय है।
  • जागृति सहज प्रमाण में, से, के लिये समाधानात्मक सूत्र व्याख्या के रूप जीना न्याय है।
  • संस्कृति सभ्यता को, सभ्यता विधि को, विधि व्यवस्था को, व्यवस्था संस्कृति को अनुप्राणित करता हुआ सूत्र व्याख्या के रूप में जीना न्याय है।

मानवीय चेतना सहज शिक्षा से अनुप्राणित शिक्षा-दीक्षा, शिक्षा-दीक्षा से संविधान, संविधान से व्यवस्था, व्यवस्था से आचरण सूत्र व्याख्या रूप में जीना न्याय है।