दीनता |
dinta |
90 |
- अमानवीय स्वभाव।
- अपने दु:ख को दूसरों से दूर कराने हेतु आश्रय प्रवृत्ति।
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दीनतावश |
dintavash |
90 |
- भ्रमवश विश्वासघात अमानवीय समस्यायें।
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दीक्षा |
diksha |
90 |
- सहअस्तित्व द़ृष्टि के लिए प्रेरणा, जागृति के लिए प्रेरणा,भ्रम मुक्ति के लिए प्रेरणा वस्तुओं का प्रदान।
- संस्कारों में गुणात्मक परिवर्तन प्रक्रिया।
- अनुभव मूलक विधि से सुनिश्चित व्यवहार पद्धति व आचरण पद्धति बोध की “दीक्षा” संज्ञा है जो व्रत है, जिसकी विश्रृंखलता नहीं है अथवा जिसमें अवरोध नहीं है।
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दु:ख |
dukh |
90 |
- समस्याओं के प्रभाव से पायी जाने वाली पीड़ा।
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दु:खी |
du:khi |
90 |
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दु:ख नाशक |
dukh nashak |
90 |
- जीवन जागृति सहज कार्य प्रणाली।
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दुर्गति |
durgati |
91 |
- अमानवीय या जीव चेतना वश किये कर्म, दुष्ट कर्म (निषिद्ध कर्म) का परिणाम अथवा प्रतिक्रान्ति।
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दुर्बल |
durbal |
91 |
- मानसिक रूप से भ्रमित, शरीर रूप से वृद्ध या रोगी।
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दुर्बली |
durbali |
91 |
- शरीर बल या मनोबल के प्रयोग में न्यूनता।
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दुरुह |
duruh |
91 |
- समझने में करने में समाधान नहीं आना, भ्रमित रहना।
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दुष्ट कर्म |
dusht karm |
91 |
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दूर |
dur |
91 |
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दूरी |
duri |
91 |
- दो ध्रुवों के बीच अथवा परस्परता के मध्य पाया जाने वाला सत्ता (व्यापक वस्तु)।
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दूरसंचार तंत्र |
dursanchar tantra |
91 |
- गतिशीलता और अधिक गतिशीलता क्रम में दूरश्रवण, दूरदर्शन, दूरगमन।
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देखना |
dekhna |
91 |
- आंखों से रूप की पहचान गुण स्वभाव धर्म को समझना।
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देवी-देवता |
devi-devta |
91 |
- दैवी गुण संपन्न, स्वभाव संपन्न, लक्ष्य संपन्न नर नारी स्वरूप।
- यश बल के लिए धन बल एवम् जन बल का अर्पण-समर्पण करने वाला।
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देवपद |
devpad |
91 |
- जागृति व जागृतिपूर्ण प्रमाण परम्परा में पूर्णता का प्रमाण।
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देव पद चक्र |
dev pad chakra |
91 |
- भ्रान्ताभ्रान्त अवस्था से मनुष्य का निर्भ्रान्त देव मानव पद की ओर विकसित होना और निर्भ्रान्त देव मानव पद से भ्रान्ताभ्रान्त अवस्था की ह्रास होने की आवर्तन क्रिया।
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देश |
desh |
91 |
- निश्चित भूखण्ड, स्थिति + सीमा।
- रचना की अवधि अथवा अवधिगत निश्चित ध्रुवों से सीमित विस्तार।
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देहवाद |
dehvad |
91 |
- भोगवाद, संग्रहवाद, सुविधावाद।
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