दक्षता |
dakshata |
88 |
- जागृत क्षमता योग्यता पात्रता।
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दातव्यता |
datavyata |
88 |
- दातव्यता का अर्थ है देने की प्रवृत्ति।
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दाता |
data |
88 |
- दया, कृपा, करुणा सहज प्रमाण क्रिया।
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दानी |
dani |
88 |
- तन, मन, धन रूपी अर्थ का सदुपयोग प्रयोजन विधि से प्रयोजन में, से, के लिए अर्पण-समर्पण।
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दाम्पत्य |
dampatya |
89 |
- जागृतिपूर्वक व्यवस्था में प्रतिज्ञाबद्ध पति-पत्नी संबंध।
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दायित्व |
dayitva |
89 |
- संबंधों की पहचान सहित मूल्यों का निर्वाह।
- परस्पर व्यवहार, व्यवसाय एवं व्यवस्थात्मक संबंधों में निहित मूल्यानुभूति सहित शिष्टतापूर्ण निर्वाह।
- संबंधों में जिम्मेदारी स्वीकारना, उत्तरदायित्व का वहन, निष्ठा का बोध।
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दार्शनिक |
darshnik |
89 |
- सहअस्तित्व में अनुभव संपन्न मानव।
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दासता |
dasta |
89 |
- भ्रमित परम्परा में व्यवहार और उत्पादन शासन द्वारा नियंत्रित होना ही दासता है।
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दाह |
daah |
89 |
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दिव्य |
divya |
89 |
- जागृति पूर्ण प्रकाशन, अभिव्यक्ति और संप्रेषणा।
- गति का गंतव्य और उसकी निरंतरता।
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दिव्यत्व |
divyatva |
89 |
- दया, कृपा, करूणा पूर्वक सहअस्तित्व में अनुभवमूलक प्रणाली से प्रामाणिकता पूर्वक की गई अभिव्यक्ति, सम्प्रेषणा व प्रकाशन।
- सहअस्तित्व में अनुभूति, उसकी संप्रेषणा।
- जीवन जागृति, भ्रम-मुक्ति की अभिव्यक्ति, संप्रेषणा।
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दिव्यात्मा |
divyatma |
89 |
- क्रिया पूर्णता, आचरण पूर्ण, जागृतिपूर्ण जीवन, मानवीयता, देव व दिव्य मानवीयता का प्रमाण।
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दिव्यपद |
divyapada |
89 |
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दिव्यता |
divyata |
89 |
- परम सत्य सहज अनुभव संपन्नता और प्रमाण।
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दिव्य मानव |
divya manav |
89 |
- आचरण पूर्ण मानव, द़ृष्टा पद प्रतिष्ठा संपन्न मानव, जागृति पूर्ण मानव अनुभव प्रमाण सहित जीने वाला।
- निर्भ्रम मनुष्य जो जीवन के लिए आवश्यकीय सभी नियमों का पालन करता है।
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दिवा रात्रि |
diva ratri |
90 |
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दिशा |
disha |
90 |
- उत्थान-पतन, भ्रम और जागृति, ह्रास-विकास।
- परस्पर इकाईयों अथवा ध्रुवों के आधार पर द़ृष्ट होने वाली कोणों को दिया गया नामकरण, स्थिति, गति।
- विकास की ओर गति।
- गन्तव्य की ओर गति।
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दिशावाही |
dishavahi |
90 |
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दिशाहीनता |
dishahinta |
90 |
- लक्ष्य व प्रयोजन हीन कार्यक्रम।
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दीर्घकालीन परिणाम |
dirghakaalin parinam |
90 |
- न्याय प्रक्रिया मानव परंपरा में; पदार्थावस्था में मृदा, पाषाण, मणि, धातु; प्राणावस्था में बीज-वृक्ष परंपरा में अनेक प्रजाति परंपरा के रूप में; जीवावस्था में वंश परम्परा के रूप में दीर्घकालीन परिणाम। ज्ञानावस्था भ्रम से जागृति गुणात्मक परिवर्तन, जागृति मानव परंपरा और श्रेष्ठतर श्रेष्ठतम अभिव्यक्ति, संप्रेषणा सहज रूप में परिवर्तन।
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