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उभय सुकृति ubhay sukriti 51
  • परस्परता में उत्थान और जागृति योग्य कार्यकलाप में सहमति।
  • क्रांति, गुणात्मक परिवर्तन जो विकास, उदात्तीकरण और संक्रमण है ।
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उमंग umang 51
  • अंग-प्रत्यंगों में उत्साह का प्रकाशन।
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उम्मीद्वारी ummidvari 51
  • निश्चित अपेक्षा उद्देश्य सहित इंतजार।
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उर्मि urmi 51
  • उत्सव, उत्साह, वीरता, उदारता का प्रमाण।
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उर्ध्वमुख urdhvamukh 51
  • विकास की ओर गति ही उर्ध्वमुख है।
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उर्वरा urvara 51
  • बीज पाकर अनेक बीज तैयार करने वाली वस्तु संयोग अथवा ऐसी क्षमता पूर्ण मिट्टी।
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उर्वरक urvarak 51
  • धरती को अधिक उपजाऊ बनाने वाले द्रव्य।
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उल्कापात ulkapat 51
  • ब्रह्मांडीय किरणों के सहयोग से वातावरणीय अणुएं अधिकाधिक तप्त एकत्रित होना और धरती को छूना।
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उल्लास ullas 51
  • मुखरण / उत्थान की ओर उन्मुक्त प्रस्तुति या जागृति सहज प्रमाण सम्पन्न गति।
  • उत्थान की ओर त्वरित गति।
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उष्ण ushna 51
  • स्वाभाविक सामान्य ताप से अधिक होना।
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उष्मा ushma 51
  • सामान्य ताप से बहुत अधिक होने के उपरांत परावर्तित होना।
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उँचाई unchai 51
  • धरती के समानान्तर रेखा के 90 अंश (डिग्री) में।
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ऊर्जामयता urjamayata 52
  • व्यापक वस्तु सहज पारदर्शी पारगामी में सम्पृक्त संपूर्ण इकाईयाँ।
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ऊर्जा स्रोत urja srot 52
  • मूलत: ऊर्जा साम्य रूप में प्राप्त व्यापक वस्तु होते हुए प्रत्येक जड़ चैतन्य इकाई में क्रियाशीलता प्रमाणित। क्रियाशीलता ही श्रम गति परिणाम कार्य व्यवहार के रूप में स्पष्ट है। इनमें से गति सहज विधि से उसका प्रभाव क्षेत्र होता है यह मानव को ज्ञात है। इस प्रभाव क्षेत्र को भी अथवा प्रभाव प्रवाह को भी कार्य ऊर्जा और ऊर्जास्रोत माना व जाना जाता है।
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ऊर्जा urja 52
  • सत्ता (निरपेक्ष शक्ति)।
  • प्रत्येक इकाई में, से, के लिए सदा साम्य रूप में प्राप्त मध्यस्थ सत्ता।
  • सम्पूर्ण क्रिया में, से, के लिए प्राप्त नित्य साम्य गति दबाव विहीन प्रभाव, वैभव और वर्तमान।
  • अस्तित्व पूर्ण नित्य साम्य वैभव।
  • प्रत्येक इकाई की स्थिति, गति में नियंत्रण और वैभव।
  • प्रत्येक इकाई में प्रकाशन बल।
  • प्रत्येक इकाई में पूर्णता का साम्य स्रोत।
  • प्रत्येक इकाई में पूर्णता पर्यन्त विकास। सम्भावना स्रोत और अवकाश।
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ऊर्जित urjit 52
  • क्रियाशील स्वभाव गति संपन्न।
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ऊर्ध्व urdhva 52
  • धरती के समानान्तर रेखा के 900 पर होने वाली दिशा।
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ऊहा uha 52
  • अनुमान।
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ऋतुक्रम ritukram 52
  • वर्षा, शीत और ग्रीष्मकालीन धरती के साथ पूरकता विधि, ऋतु संतुलन, धरती पर चारों अवस्थाएं उपयोगिता पूरकता सहित वैभवित रहने योग्य अनुपातीय प्रवृत्ति।
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ऋतुमान rituman 52
  • ग्रीष्म ऋतु में उष्मा का तापमान, वर्षा ऋतु में वर्षा का अनुपात या आंकलन, शीत ऋतु में शीत का निश्चित आंकलन।
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