क्लेशोदय |
kleshoday |
57 |
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कसैलापन |
kasailapan |
57 |
- जीभ में ऐंठन व अरूचि है, जीभ में रसोदय कम होना।
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कसौटी |
kasauti |
57 |
- परीक्षण, निरीक्षण, सर्वेक्षण का माप विधि।
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कहाँ |
kahaan |
57 |
- निश्चित देश को पहचानने की मानसिक प्रक्रिया।
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कातुर |
katur |
57 |
- वांछित उपलब्धि के प्रति शीघ्रता से कार्यरत होना।
- तीव्र गति से लक्ष्य की ओर गति।
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कान्ति |
kanti |
57 |
- मौलिकता सहित प्रकाशमानता।
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कामना |
kamna |
58 |
- संज्ञानशीलता में नियंत्रित संवेदनशीलता।
- प्राप्त समझदारी व्यक्त करने हेतु उत्पन्न बौद्धिक संवेग।
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कायिक |
kayik |
58 |
- मानसिकता सहित शरीर के द्वारा किया गया दायित्व कर्त्तव्य।
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कायिक कर्म |
kayik karm |
58 |
- विचार पूर्वक शरीर द्वारा किया गया आचरण एवं व्यवसाय, व्यवहार।
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कारकता |
karakta |
58 |
- प्रेरणा, मार्गदर्शन, क्रियान्वयन में आवश्यकीय पृष्ठभूमि।
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कारण |
karan |
58 |
- हर कार्य का मूल सूत्र।
- क्रिया की पृष्ठभूमि।
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कारण पिण्ड |
karan pind |
58 |
- आत्मा और बुद्धि का संयुक्त स्वरूप।
- कारणात्मक भाषा- यथार्थता, वास्तविकता, सत्यता सहज अनुभव मूलक अभिव्यक्ति।
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कारणविधि |
karanvidhi |
58 |
- अस्तित्व में होना ही संपूर्ण उपलब्धि, यथास्थिति विकास, जागृति के लिए कारण।
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कारणानुक्रम |
karananukram |
58 |
- निश्चित कारणों से अनुबंधित कार्य।
- हर घटना अपने में क्रम से ही घटित होना ऐसे क्रम का नाम अनुक्रम।
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कारणवादी |
karanvadi |
58 |
- मूल कारणों के आधार पर हर क्रिया फल परिणाम को पहचानना।
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कारित |
karit |
58 |
- दायित्व कर्त्तव्य वाक्य संरचना को दूसरों से कराना।
- तीव्र गति से लक्ष्य की ओर गति।
- वांछित उपलब्धि के प्रति शीघ्रता से कार्यरत होना।
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कारीगर |
karigar |
58 |
- उत्पादन कार्य को क्रियान्वयन करने वाले पारंगत व्यक्ति।
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कार्पण्य दोष |
karpanya dosh |
58 |
- क्लेश परिपाकात्मक प्रवृत्ति जो न्याय, धर्म, सत्यानुभूति योग्य क्षमता का अभाव ही है।
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कार्य |
karya |
58 |
- व्यवहार कार्य, उत्पादन कार्य, सेवा कार्य, अध्ययन कार्य, व्यवस्था कार्य।
- विचार पक्ष के आकार अथवा निर्देश का अनुकरण करने के लिए जड़ पक्ष का योगदान।
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कार्यकलाप |
karyakalap |
59 |
- उत्पादन कार्य, व्यवहार कार्य, आचरण कार्य का संयुक्त स्वरूप और आहार विहार व्यवहार।
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