ऋतंभरा |
ritambhara |
53 |
- सत्य सहज वैभव रूप में अभिव्यक्ति करने की संपूर्ण पृष्ठभूमि, यही सहअस्तित्व में अनुभूति।
- पूर्ण अधिकार।
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ऋणाकर्षण |
rinakarshan |
53 |
- स्थिरता सहित, अपने वातावरण में जितने भी वस्तुएं होती हैं उन्हें आकर्षित करने का बल।
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एक |
ek |
53 |
- सभी ओर से सीमित पदार्थ पिण्ड, छोटा-बड़ा रचना-ग्रह गोल धरती।
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एकता |
ekata |
53 |
- रूप सहज, गुण सहज, स्वभाव सहज, धर्म सहज-अस्तित्व परम्परा का होना।
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एकत्व |
ekatva |
53 |
- समान रूप, गुण, स्वभाव, धर्म के आधार पर।
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एकदेशीय |
ekadeshiya |
53 |
- किसी एक देश में होने वाले खनिज वनस्पति अथवा जीव।
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एकरूपता |
ekrupta |
53 |
- रूप, आकार, आयतन, घन में समानता।
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एकसूत्रता |
eksutrata |
53 |
- गुण, स्वभाव, धर्म समानता।
- विकास के क्रम में संलग्नता।
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एकसूत्रात्मक |
eksutratmak |
53 |
- गुण समानता, स्वभाव समानता, धर्म समानता की परस्पर पहचान और प्रभाव।
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एकात्मता |
ekatmata |
53 |
- अनुभव मूलक प्रमाण में व्यवहार व प्रयोग में एकता।
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एकोदर |
ekodar |
53 |
- एक ही माँ के पेट से प्रगट हुए संतान।
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ऐक्य |
aikya |
53 |
- समान रूप, गुण, स्वभाव, धर्म सहज अनेक एक रूप में प्रकाशित रहना।
- जिस योग के अनंतर विलगीकरण न हो।
- सजातीय इकाइयों का मिलन, सह-अस्तित्व।
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ऐच्छिक निराकर्षण |
aichchik nirakarshan |
53 |
- स्वेच्छा से भ्रमकारी मानसिकता व क्रियाकलाप से निरर्थकता की अस्वीकृति तथा यथार्थता की स्वीकृति।
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ऐश्वर्य |
aishwarya |
54 |
- अनवरत जागृतिपूर्ण स्थिति।
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ऐश्वर्यमयी |
aishwaryamayi |
54 |
- द़ृष्टापद और जागृति का प्रमाण।
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ऐषणा |
aishna |
54 |
- सर्वशुभ के अर्थ में इच्छाओं का प्रकटन।
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ऐषणात्रय |
aishanatray |
54 |
- पुत्रेषणा / जनबल, वित्तेषणा / धनबल, लोकेषणा /यश बल कामना।
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ऐषणाजित |
aishnajit |
54 |
- ऐषणा त्रय से प्रभाव विहीनता, साथ ही उन पर नियन्त्रण पाना।
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ऐषणान्वेषण |
aishnanveshan |
54 |
- ऐषणा त्रय व उसकी सुलभता की अपेक्षा में किया गया क्रियाकलाप।
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ओझिल |
ojhil |
54 |
- देखने को नहीं मिलना, समझ में नहीं आना, मूल्यांकन नहीं कर पाना।
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