उन्मेष |
unmesh |
48 |
- उन्नति एवं विशालता के प्रति द़ृष्टिपात।
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उन्मुख |
unmukh |
48 |
- उन्नति की ओर दिशा निश्चयन।
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उन्मूलन |
unmulan |
48 |
- जड़ मूल से समाप्त करना; गलती, अपराध को बदलना, सुधार कर लेना।
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उपकार |
upkaar |
49 |
- उन्नति और जागृति के लिए किया गया कर्तव्य।
- करने, होने के लिए उपाय और सेवा, उपाय पूर्वक की गई कृतियाँ।
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उपकारात्मक स्वरूप |
upakaaratmak svarup |
49 |
- समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व प्रमाण, अखण्ड समाज सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी।
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उपकृत |
upkrit |
49 |
- प्राप्त उपकार का स्वीकृत परिणाम सहित प्रस्तुति।
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उपज |
upaj |
49 |
- धरती में अनाज, औषधि, फल, सब्जी व फूलों का उत्पादन।
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उपदेश |
updesh |
49 |
- अनुभवमूलक सूत्र संवाद और आदेश।
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उपद्रव |
upadrav |
49 |
- उन्नति, प्रगति, जागृति, व्यवस्था और विश्वास विरोधी।
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उपभोग |
upbhog |
49 |
- उपाय पूर्वक आस्वादन, ग्रहण क्रिया में गतित होना।
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उपभोक्तावादी |
upbhoktavadi |
49 |
- भोगवादी प्रवृति-संग्रह सुविधावादी प्रवृति और कार्य।
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उपयोग |
upyog |
49 |
- शरीर संरक्षण पोषण समाज गति में प्रयुक्ति।
- मूल्यानुभूति व उत्पादन के लिए प्रयुक्त नियोजन।
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उपयोगी |
upyogi |
49 |
- आवश्यकता एवं विकास के लिए योजित एवं नियोजित करने योग्य वस्तु।
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उपयोग भेद |
upyog bhed |
49 |
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उपयोगिता |
upyogita |
49 |
- आहार, आवास, अलंकार, दूरश्रवण, दूरगमन, दूरदर्शन संबंधी कार्य योग्य।
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उपयोगिता मूल्य |
upyogita mulya |
49 |
- उपयोगिता के आधार पर मूल्यांकन क्रिया।
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उपयोग विधि |
upyog vidhi |
49 |
- परिवार सहज आवश्यकता में उपयोग करना और व्यवस्था सहज आवश्यकता में उपयोग करना।
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उपयुक्त |
upyukt |
49 |
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उपरस |
upras |
49 |
- निश्चित रसों के लिए, यौगिक क्रिया के लिए प्राप्त वस्तुएं।
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उपराम |
upram |
49 |
- किसी कार्य को करने के पश्चात् पुन: वैसा ही कार्य नहीं करना।
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