ईप्सा |
ipsaa |
44 |
- ऐषणा के प्रति पिपासा।
- प्राप्य के प्रति तीव्र इच्छा ही ईप्सा है।
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ईप्सित |
ipsit |
44 |
- इच्छा के अनुरूप प्राप्त, प्राप्तियाँ।
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ईक्षण |
ikshan |
44 |
- सहअस्तित्व में रूप, गुण, स्वभाव, धर्म की पहचान।
- जीवन प्रकाश में द़ृश्य स्पष्ट होने हेतु किया गया क्रियाकलाप।
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ईमानदारी |
imandari |
45 |
- समझदारी के अनुरूप निर्णय लेने की और प्रस्तुत होने करने की क्रिया प्रणाली।
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ईर्ष्या |
irshya |
45 |
- दूसरों के उन्नति विरोधी मानसिकता, द्वेष, भ्रमित मानसिकता।
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ईश्वर |
ishwar |
45 |
- ऐश्वर्य संपन्न सर्वत्र विद्यमान सर्व सुलभता की पहचान।
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ईश्वरज्ञता |
ishvaragyata |
45 |
- ईश्वर ज्ञान अर्थात् सह-अस्तित्व दर्शन ज्ञान संपन्न।
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ईंधन |
indhan |
45 |
- इच्छानुसार पक्व तपन भस्म और दहन गलन क्रिया संपन्न होने के लिए प्रयुक्त वस्तु।
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उचित |
uchit |
45 |
- मानवीयता एवं अतिमानवीयता के पोषण, संरक्षण, उन्नति के लिए उपादेयी आचरण, व्यवहार, कार्य।
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उच्चकोटि |
uchchakoti |
45 |
- गुणात्मक विकास संपन्न अथवा गुणवत्ता संपन्न।
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उच्चारण |
uchcharan |
45 |
- उत्सवपूर्वक सार्थक वचनों का प्रकाशन।
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उज्जवल |
ujjaval |
45 |
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उत्तरार्द्ध |
uttararddha |
45 |
- फल परिणाम में परिपक्वता |
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उत्तरदायित्व |
uttardayitva |
45 |
- संस्कृति सभ्यता पूर्वक विधि व्यवस्था के प्रति निष्ठा।
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उत्कर्ष |
utkarsha |
45 |
- उत्थान की ओर गतिशीलता ही उत्कर्ष है।
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उत्कृष्ट |
utkrishta |
45 |
- उत्थान के लिए श्रेष्ठ, अनिवार्य एवं आवश्यक प्रक्रिया।
- मानव चेतना, देव चेतना, दिव्य चेतना पूर्वक जीना।
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उत्कंठा |
utkantha |
45 |
- गुणात्मक परिवर्तन के लिए मानव में तीव्र इच्छा।
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उत्कंठापूर्वक |
utkanthapurvaka |
45 |
- गुणात्मक विकास के तीव्र इच्छा सहित प्रवृत्ति और कार्य।
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उत्थान |
utthan |
45 |
- निर्भ्रमता की ओर गति। समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व क्रम में गति।
- मानवीयता एवं अतिमानवीयतापूर्ण जीवन शैली की उपलब्धि। चेतना विकास की ओर गतिशील एवं गति प्रदायन क्रिया।
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उत्पन्न |
utpanna |
46 |
- संयोग से उदय होना। बीज धरती में पानी उजाला उष्मा उर्वरक पाकर वृक्ष के रूप में उदय होना। मनुष्य के शरीर का गर्भाशय में रचित होना। मिट्टी और उसके सहायक द्रव्यों से घर-द्वार की रचना करना-धातुओं से यंत्र रचना करना।
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