उत्पादन |
utpadan |
46 |
- प्राकृतिक ऐश्वर्य पर श्रम नियोजन पूर्वक उपयोगिता मूल्य और कला मूल्यों की स्थापना सहित रचित वस्तु।
- प्राकृतिक ऐश्वर्य पर श्रम नियोजन पूर्वक उपयोगिता व कला मूल्यों की स्थापना सहित सामान्य आकांक्षा और महत्वाकांक्षा के रूप में वस्तुओं को रूप प्रदान करने की क्रिया।
- मनुष्येत्तर प्रकृति पर उपयोगिता एवं सुन्दरता की स्थापना किया जाना।
- उपयोगिता मूल्य एवं उत्थान की दिशा में तन, मन और प्राकृतिक ऐश्वर्य में किया गया गुणात्मक परिवर्तन।
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उत्पादन कार्य |
utpadan karya |
46 |
- उपयोगिता सुन्दरता के लिए श्रम नियोजन।
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उत्पादन भेंट |
utpadan bhent |
46 |
- आहार, आवास, अलंकार, दूरगमन, दूरश्रवण, दूरदर्शन संबंधी वस्तु व उपकरण।
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उत्पादन विधि |
utpadan vidhi |
46 |
- निपुणता, कुशलता, पांडित्य सहज कार्य प्रणाली।
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उत्पादन सुलभता |
utpadan sulabhata |
46 |
- हर परिवार में आवश्यकता से अधिक उत्पादन होना।
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उत्पीड़ित |
utpidit |
46 |
- उत्थान के मार्ग में रूकावट, शोषण।
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उत्प्रेरणा |
utprerana |
46 |
- जिज्ञासात्मक पीड़ा ही अनुसंधान की उत्प्रेरणा है।
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उत्प्रेरित |
utprerit |
46 |
- उत्थान के लिए प्रेरणाओं को स्वीकारना।
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उत्सव |
utsav |
46 |
- उत्थान के लिए हर्षोल्लास पूर्वक प्रवर्तनशीलता का प्रमाण।
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उत्सवित |
utsavit |
46 |
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उत्साह |
utsaah |
46 |
- उत्थान के लिए साहसिकता पूर्वक धैर्यपूर्वक विधिवत् प्रवृत्ति।
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उदय |
uday |
46 |
- परस्पर सम्मुख होने की घटना क्रिया ।
- उत्थान की ओर गति परस्परता में प्रकटन, विकास क्रम विकास जागृति क्रम जागृति व निरंतरता।
- अनुभव से अधिक अनुमान, संभावना का विशाल होना।
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उदयशील |
udayshil |
47 |
- बारंबार प्रगटन होने वाली कार्यप्रणाली।
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उदात्तीकरण |
udattikaran |
47 |
- पदार्थावस्था से प्राणावस्था, प्राणावस्था से जीवावस्था, जीवावस्था से ज्ञानावस्था के रूपों एवं शरीरों की प्रगटन क्रिया और ज्ञानावस्था में द़ृष्टापद में जागृति का प्रमाण।
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उदान वायु |
udan vayu |
47 |
- वायु विरोध सहज संज्ञा इसे मनुष्य शरीर में बलकारी उपयोग के रूप में पहचाना जाता है।
- शरीर के लिये संचालनात्मक।
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उदारचित्त |
udarchitt |
47 |
- बैर विहीन चिंतन, नियति क्रम चिंतन।
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उदारता |
udarata |
47 |
- तन, मन, धन रूपी अर्थ का उपयोग, सदुपयोग प्रयोजनशीलता के अर्थ में नियोजित करना।
- स्व प्रसन्नता पूर्वक दूसरों की आवश्यकतानुसार तन, मन, धन रूपी अर्थ का अर्पण समर्पण क्रिया।
- प्राप्त सुख सुविधाओं का, दूसरों के लिए सदुपयोग करना।
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उदितोदित |
uditodit |
47 |
- सर्वशुभ नित्यशुभ सहज निरंतरता।
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उद्विग्नता |
udvignata |
47 |
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उद्बोधन |
udbodhan |
47 |
- उपाय पूर्वक उपयोगिता का बोध कराना।
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