कृत-कृत्य |
krit-kritya |
61 |
- करने योग्य सभी क्रिया कलापों को सर्वतोमुखी समाधान प्रस्तुत कर चुके।
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कृतज्ञता |
kritagyata |
62 |
- जिस किसी से भी उन्नति और जागृति के लिए सहायता मिला हो उसकी स्वीकृति।
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कृति |
kriti |
62 |
- निश्चित रचना।
- आशा, विचार, इच्छानुरूप की गई रचना, निर्माण।
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कृत्रिमता |
kritrimata |
62 |
- नियति क्रम के विपरीत प्रयास।
- भ्रमित प्रयास।
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कृतघ्नता |
kritaghnata |
62 |
- प्राप्त सहायता की अस्वीकृति।
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कृपणता |
kripanta |
62 |
- आय को व्यय से मुक्ति दिलाने की प्रवृत्ति।
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कृपा |
kripa |
62 |
- उपलब्धि के अनुसार योग्यता सहज पात्रता स्थापना।
- वस्तु (जानकारी) है पर उसके अनुरुप पात्रता नहीं है, उसको पात्रता उपलब्ध कराने वाली क्षमता।
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क्या |
kya |
62 |
- वस्तु पहचानने का प्रेरणा।
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क्यों |
kyon |
62 |
- प्रयोजनों और उपयोगिता को पहचानने की मानसिक प्रक्रिया।
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क्रम |
kram |
62 |
- जागृति व विकास की ओर श्रृंखलाबद्ध प्रगति।
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क्रांति |
kranti |
62 |
- धारणा की अनुकूल चेष्टा को स्फुरण अथवा क्रांति संज्ञा है।
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क्रिया |
kriya |
62 |
- श्रम गति परिणाम के रूप में जड़-चैतन्य प्रकृति सहज प्रमाण; गठनपूर्णता, क्रियापूर्णता, आचरणपूर्णता के रूप में चैतन्य प्रकृति में प्रमाण जागृत जीवन के रूप में।
- श्रम + गति + परिणाम का अविभाज्य वर्तमान।
- स्थिति एवं गति का संयुक्त रूप में वर्तमान।
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क्रियाकलाप |
kriyakalap |
62 |
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क्रिया त्रय |
kriya tray |
62 |
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क्रियान्वयन |
kriyanvayan |
62 |
- प्रमाणित होने के लिए किया गया व्यवहार क्रियाकलाप।
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क्रियापूर्णता |
kriyapurnta |
62 |
- जागृति सहज सर्वतोमुखी समाधान, सहअस्तित्व में जीने का प्रमाण संज्ञानीयता पूर्ण।
- सतर्कता, मानवीयतापूर्ण क्रियाकलाप।
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क्रिया प्रतिक्रिया |
kriya pratikriya |
63 |
- भ्रमित क्रिया कलाप का विपरीत फल परिणाम। भ्रमित मानसिकता से आशित रूप में किया गया क्रियाकलाप का विपरीत फल परिणाम सहज अनुमानात्मक प्रस्तुति।
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क्रियावादी |
kriyavadi |
63 |
- उत्पादन कार्य सफलता में क्रम सहज प्रकाशन।
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क्रियावादी तंत्र |
kriyavadi tantra |
63 |
- सर्वतोमुखी समाधान की ओर प्रवृत्ति और कार्य।
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क्रियाशील |
kriyashil |
63 |
- जीवन (चैतन्य इकाई) क्रिया, रासायनिक तंत्र के मूल में परमाणु क्रिया, भौतिक तंत्र के मूल में परमाणु क्रिया-नित्य क्रियाशील है। इस प्रकार भौतिक रासायनिक एवं जीवन क्रिया के मूल में परमाणु ही नित्य क्रियाशील है। भौतिक रासायनिक क्रिया में श्रम गति परिणामशील है, जीवन क्रिया के मूल में गठनपूर्ण परमाणु क्रिया नित्य वर्तमान।
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