विनिमय कोष |
vinimay kosh |
172 |
- परिवारमूलक स्वराज्य व्यवस्था के अंगभूत कार्यरत विनिमय कोष जिसमें लाभ हानिमुक्त श्रम मूल्य के आधार पर विनिमय करने की व्यवस्था।
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विनिमय विधि |
vinimay vidhi |
172 |
- श्रम नियोजन श्रम मूल्यों को उपयोगिता के आधार पर मूल्यांकित वस्तु का हस्तांतरण वस्तु विनिमय।
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विनिमय सुरक्षा |
vinimay suraksha |
172 |
- आवश्यकता से अधिक उत्पादन व भंडारण।
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विनियोजन |
viniyojan |
172 |
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विनोद |
vinod |
172 |
- परस्पर ज्ञान विज्ञान सहज समानता का परीक्षण-निरीक्षण प्रसन्नता सहज प्रकाशन स्वीकृति रूप में।
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विपयर्य |
vipayarya |
172 |
- अयथार्थता की विपयर्य संज्ञा है।
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विपाक |
vipaak |
172 |
- आवेशित गति का परिणाम। दुष्परिणति से विपाक है।
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विपुलीकरण |
vipulikaran |
172 |
- एक से अनेक होना, एक बीज से अनेक बीज होना, एक संतान से अधिक होना। एक समझ से अनेक प्रेरित होना रहना।
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विभक्त |
vibhakt |
172 |
- मानव परम्परा में अलग होना। अलग अस्मिता अधिकार भ्रमवश स्वीकारना, करना।
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विभक्ति |
vibhakti |
172 |
- विभाजित होना, विभाजन कल्पना होना।
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विभव |
vibhav |
173 |
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विभववादी |
vibhavavadi |
173 |
- यथास्थिति एवं उसकी निरंतरता बनाए रखने का विचार व्यवहार।
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विभव क्रिया |
vibhav kriya |
173 |
- वर्तमान में त्व सहित व्यवस्था का प्रसारण परंपरा।
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विभाग |
vibhag |
173 |
- पूर्ण विश्लेषण पूर्वक किया गया भाग।
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विभूतियाँ |
vibhutiyan |
173 |
- दिव्य पद सहज वैभव परंपरा।
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विमुख |
vimukh |
173 |
- भ्रम से विमुख, जागृति की ओर गति।
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विमूढ़ता |
vimudhata |
173 |
- शुभ चाहते हुए मूढ़ता पूर्वक, भ्रम पूर्वक सुखी होने का कार्यक्रम।
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वियोग |
viyog |
173 |
- सान्निध्य से दूर-दूर होना, पुनश्च योग की संभावना बना रहना, विच्छेद।
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विरक्त |
virakt |
173 |
- जागृतिपूर्ण विचार पूर्वक प्रवृत्ति व गति।
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विरक्तवादी |
viraktvadi |
173 |
- रहस्यमय ईश्वरवाद के अनुसार ब्रह्म सत्य जगत मिथ्या उपदेश, जगत से विमुख होना जगत के प्रति विरक्ति, जगत विरोधी मान्यता।
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