अध्यात्मवाद

by A Nagraj

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सम्पूर्ण जीवन क्रियाकलाप की दो स्थितियों को मानव में अध्ययन किया गया है। इनमें से पहला है - चित्रण के अनुरूप, वृत्ति और मन का परावर्तन और प्रत्यावर्तन होना। दूसरा है अनुभव के अनुरूप बुद्धि, चित्त, वृत्ति, मन का परावर्तन और प्रत्यावर्तन होना। जहाँ तक चित्रण के आधार पर प्रत्यावर्तन, परावर्तन होती है - वह सुनने, आँखों से देखने के संयोग से चित्रण कार्य में पारंगत हुआ है। सुनाने की सभी क्रियाकलाप को श्रुति कहा है। ऐसे सुनने की ध्वनि, शब्द, वाक्य, गद्य, पद्य, सूत्र, व्याख्या, छन्द, प्रास, लय, ताल के साथ आदमी श्रवण विधि को विकसित किया है। इसी के साथ भाषाएँ भी विकसित हुई है। सम्पूर्ण शब्द किसी क्रिया, वस्तु, स्थिति, गति, परिणाम, प्रक्रिया, घटनाओं के नाम से प्रस्तुत है। घटना विहीन शब्दों को ज्ञान मानकर चलें और कुछ-कुछ घटना के साथ चलने लगे तब इसको विज्ञान कहेंगे। ये घटनायें, उपकारात्मक स्वरूप में, उपयोगी स्वरूप में दूरदर्शन, दूरश्रवण, दूरगमन संबंधी वस्तुएँ हैं। इसके अलावा सामरिक तंत्र के लिए जो कुछ भी घटनाओं को घटित किया गया है वह सब ह्रास, समस्या, क्लेश का ही कारण होना मूल्यांकित हो चुकी है। विवशतावश भले ही अपने अहमता को (भ्रम बंधन को) बढ़ावा देने की विधि अपनाते रहें। सामान्य आकांक्षा संबंधित सभी उत्पादन विधियाँ आदि काल से भी क्रियागत विधि से विकसित होते ही आया। जहाँ तक कृषि, बागवानी, उद्यान कार्यों में जितने भी उन्नत प्रजाति स्थापित हुए वह सब बीजानुषंगीय विधि से कार्यरत होने योग्य हुई और उन्नति के नाम से अत्याधुनिक बीजगुणन तकनीकी विकसित हुई, वह बीजानुषंगीय विधि से स्थिर नहीं हो पायी। बीजानुषंगीय स्थिरता का तात्पर्य यह है बीज के अनन्तर पौधा, फल, बीज होना स्पष्ट है। उस विधि से बारंबार अथवा निरंतरता को बनाये रखने की विधि। इसके विपरीत बीज को डालने के उपरांत फल बीज, मूल बीज के अनुरूप न होने पर अस्थिरता कही गई है, यह भी सुस्पष्ट है। जितने भी दूरश्रवण, दूरदर्शन, दूरगमन संबंधी आधारभूत मूल प्रक्रियाओं का अनुसंधान हुआ है यह महत्वपूर्ण विज्ञानियों से अनुसंधानित नहीं हुई। यथा भौतिक शास्त्र, रासायनिक शास्त्र के संयोग से पैदा हो गया-ऐसा कुछ हुआ नहीं। ये घटनाएं मानव सहज कल्पनाशीलता, कर्म स्वतंत्रता क्रम में घटित हुआ इसे विज्ञान सम्मत माना गया। अभी भी इन घटनाओं में पारंगत बनाने की क्रियाकलाप को तकनीकी के नाम से पढ़ाया जाता है। इस प्रकार