व्यवहारवादी समाजशास्त्र

by A Nagraj

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नित्य प्रमाण होना पाया जाता है। इसी आधार पर हर स्तरीय परिवारों में उत्पादन और समृद्धि का मूल्यांकन होना सहज है। सदुपयोग धर्म सूत्र से सुरक्षा राज्य सूत्र से संबंध रहता है।

उत्पादन-कार्य समिति का मूल्यांकन भी उक्त आधारों पर सफलता मूल्यांकित हो पाता है। उत्पादन-कार्य समिति में भागीदारी करते हुए सदस्यों का मूल्यांकन समीचीन समय में परिवार और ग्राम में किये जाने वाले उत्पादन के प्रति जागृति ही है। यही पूरे ग्राम परिवार सहज आवश्यकता से अधिक उत्पादन को प्रमाणित करता है। यही मूल्यांकन छोटे से छोटे परिवार केवल परिवार सभा के नाम से इंगित कराया गया है। जिसमें कम से कम 10 व्यक्तियों का भागीदारी को स्पष्ट किया गया है। ऐसे छोटे परिवार में ही उत्पादन आवश्यकता के आधार पर उपलब्धि के रूप में प्रमाणित होना ही उत्पादन-कार्य, उत्पादन-कार्य समितियों के सफलता का मूल्यांकन है। यह परिवार सभा से विश्व परिवार सभा पर्यन्त हर स्तरीय परिवार सभाओं में उत्पादन-कार्य एक निश्चित आयाम, उसके लिये सटीक व्यवस्था वांछनीय रहता ही है। इसी क्रम में विश्व परिवार सभा में भी आवश्यकता से अधिक उत्पादन का प्रमाण होना जिसमें सभी प्रधान राज्य सभा का भागीदारी निर्वाचन पूर्वक सम्पन्न हुआ रहता है। वह अपने में अर्थात् सम्पूर्ण प्रधान राज्य सभा में और विश्व राज्य सभा में आवश्यकता से अधिक उत्पादन का प्रमाण उत्पादित वस्तुओं का राशि (समूह, ढेर) के रूप में होना विश्व समृद्धि का द्योतक होना स्वाभाविक है। इसी प्रकार प्रधान राज्य परिवार सभा, मुख्य राज्य परिवार सभा, मण्डल समूह परिवार सभा, मण्डल परिवार सभा, क्षेत्र परिवार सभा, ग्राम समूह परिवार सभा, ग्राम परिवार सभा, परिवार समूह सभा