व्यवहारवादी समाजशास्त्र

by A Nagraj

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निष्ठान्वित हर नर-नारी में परीक्षण और सत्यापन संगीत का पाया जाना नैसर्गिक है।

आयु विचार के साथ-साथ विवाहोत्सव के लिए तैयार नर-नारी के आयु समान होना चाहिये, या ज्यादा कम होना चाहिये, किसका ज्यादा और किसका कम होना चाहिए एवं विवाह की अधिकतम आयु सीमा क्या होना चाहिये इन सब पर मानव सहज विचार और प्रवृत्ति प्रयोजन सहित आवश्यकता को पहचानना चाहते हैं। मानवीयतापूर्ण मानव मानस में मानव संबंध समाज, नैसर्गिक संबंध मूल्य का निर्वाह मूल्यांकन प्रक्रिया सहित तृप्ति पाने का स्रोत सहित जुड़ा रहना पाया जाता है। इसी क्रम में सभी संबंधों की सार्थकता व्याख्यायित है।

हर स्वायत्त मानव, परिवार मानव अपने आप में व्यवस्था कार्य विधियों के लिए तत्पर रहना अपेक्षित है ही। इसी आधार पर प्रयोजन का स्वरूप पुनश्च समीचीन संबंध-मूल्य-मूल्यांकन और परिवार व्यवस्था ग्राम परिवार व्यवस्था में भागीदारी से विश्व परिवार में भागीदरी है। यही प्रधान रूप में ध्यान में रहने की आवश्यकता है।

इस क्रम में आयु विचार का मुद्दा समान रहना चाहिये, अधिकतम रहना चाहिए, नर-नारियों में किसको अधिक और किसका कम रहना चाहिये। इस विचार क्रम में सुस्पष्ट है कि नर-नारियों का आयु सीमा ज्यादा से ज्यादा 3 वर्ष तक अधिकतम दूरी हो सकती है। मानवीयतापूर्ण परंपरा में सहज ही इस आयु अर्थात् 3 वर्ष न्यूनाधिक सीमा में ही हर नर-नारी को विवाह संबंध का संभावना बना ही रहता है। नर-नारियों में से कोई भी 3 वर्ष ज्यादा-कम हो सकते हैं, समान भी हो सकते है।