व्यवहार दर्शन* (Raw)

by A Nagraj

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होती रहती है यह शरीर मूलक विधि से संपादित होता है । यही भ्रमित विधि से होने वाली साढ़े चार (4ग्) क्रियाएं है ।

दिव्य मानव, देव मानव एवं मानव में आत्मा में होने वाले अनुभव प्रमाण सहित प्रथम परिवेशीय क्रियाकलाप पूर्ण सक्रिय हो जाता है । जिसके फलस्वरूप जीवनगत सभी क्रियाऐं अनुभवमूलक क्रियाकलाप सहित प्रमाणित होते हैं ।

श्र प्रेरणा पाने की क्षमता हर परमाणु में निहित अंशों में है, क्योंकि संपूर्ण अंश सत्ता में सम्पृक्त हैं ।

श्र ज्ञानावस्था की चैतन्य इकाई का जड़ शरीर प्रत्याशा के फल को शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंधेन्द्रियों द्वारा पाये जाने वाली प्रवृत्तियों में से पुष्टि पक्ष को ग्रहण करता है ।

श्र इन प्रवृत्तियों में जो कला पक्ष और ज्ञान पक्ष है, उसका आस्वादन सुख के रूप में चैतन्य पक्ष ही करता है ।

श्र चैतन्य पक्ष के जागृति का जो कारण है, उसे संस्कार संज्ञा है ।

श्र जड़ पक्ष के परिणाम का जो कारण है, उसे अध्यास या वंशानुक्रम संज्ञा है जो गठनपूर्णता तक है ।

:: संस्कार :- 1. पूर्णता के अर्थ में स्वीकृतियाँ ही संस्कार है । यही मानव का प्रारब्ध है ।

2. प्रमाणित होने के लिए पहले से जो समाधान के अर्थ में प्राप्त है, वह संस्कार है । समाधान के अर्थ में ज्ञान-विज्ञान-विवेक ही प्राप्त रहता है ।

3. पूर्णता के अर्थ में कृतियों को साकार करने में क्रियाकलाप सहित प्रवृत्तियाँ और समझदारी ही संस्कार है ।

4. पूर्णता के अर्थ में कायिक, वाचिक, मानसिक व कृत, कारित, अनुमोदित विधि से की गई कृतियाँ संस्कार है ।

:: प्रारबॅध :- जो जितना जान पाता है उतना चाह नहीं पाता; जितना चाह पाता है उतना कर नहीं पाता; जितना कर पाता है उतना भोग नहीं पाता । जितना भोगा नहीं जाता वह प्रारब्ध है ।

गठनशील परमाणु अणुबंधन-भारबंधन सहित होता है । परमाणु में संकोचन - प्रसारण क्रिया में वृद्धि होने के फलन में परमाणु तत्काल समूह से मुक्त हो जाता है तथा गठनपूर्ण हो जाता है । यही जीवन परमाणु है । जीवन अणु बंधन, भार बंधन से मुक्त तथा आशा बन्धन से युक्त होना ही गठनपूर्णता का प्रमाण है । गठनपूर्णता का प्रमाण स्वत्व स्वतंत्रता अधिकार के रूप में स्पष्ट हो जाता है । अस्तित्व में भौतिक क्रिया, रासायनिक क्रिया, जीवन क्रिया ये तीनों प्रकार की क्रियाएं सदा-सदा वर्तमान हैं । इनके अन्तर्सम्बन्धों को पहचानने के क्रम में भौतिक, रासायनिक क्रिया से संक्रमित