भौतिकवाद

by A Nagraj

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को प्रमाणित करने के लिए प्राकृतिक ऐश्वर्य पर श्रम नियोजन और कला मूल्य की स्थापना और उसके मूल्यांकन के रूप में हैं। आवर्तन विधि संपन्न विनिमय प्रक्रिया पूर्वक व्यवहारिक होना पाया जाता है। मानव संबंध समाज रचना का आधार है। परिवार मूलक विधि से समाज रचना निरंतर सहज हैं। मानवत्व ही परिवार संबंधों की तृप्ति का सूत्र है। परिवार ही विश्व परिवार के रूप में अखण्ड समाज है। परिवार रचना के साथ व्यवस्था की अभिव्यक्ति एक अनिवार्य स्थिति है। व्यवस्था सहज अभिव्यक्ति क्रम में न्याय, विनिमय और उत्पादन प्रधान प्रक्रिया है। न्याय प्रक्रिया में स्थापित एवं शिष्ट मूल्यों का मूल्यांकन मौलिक है। विनिमय प्रकिया में श्रम मूल्यों का मूल्यांकन मौलिक हैं। उत्पादन कार्यों में अथवा उत्पादन विधि में श्रम नियोजन मौलिक हैं। इस प्रकार मौलिकता त्रय पूर्वक सार्वभौमिकता और अक्षुण्णता सहज होता है। इसी अभिव्यक्ति के लिए मानवीय शिक्षा-संस्कार और स्वास्थ्य-संयम आवश्यकीय कार्यक्रम हैं। इसी के आधार पर सार्वभौम व्यवस्था और अखण्ड समाज रचना के लिए, मानव का जागृत होना पाया जाता है।

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