भौतिकवाद

by A Nagraj

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बीच रासायनिक प्रक्रियाएँ अपने-आप वैभवित रहती हैं। इस वैभव का मूल बिन्दु पदार्थावस्था अपने में समृद्घ होने की अभिव्यक्ति है।

अस्तित्व सहज संपूर्ण अभिव्यक्ति का स्वरुप सत्ता में संपृक्त पदार्थावस्था, प्राणावस्था, जीवावस्था और ज्ञानावस्था ही हैं। यह इसी गवाही के आधार पर है, इसी प्रमाण के आधार पर है कि धरती पर चारों अवस्थाएँ स्वयंस्फूर्त प्रमाणित हो चुकी हैं। इसी आधार पर यह स्पष्ट है कि प्रत्येक धरती में ये अवस्थाएँ प्रमाणित होने के क्रम में विकास नित्य प्रभावी है। इसमें बनाने का, बनने का, बनाने वाले का कोई संयोग दिखाई नहीं पड़ता। क्योंकि सहअस्तित्व विधि से अस्तित्व स्वयं स्फूर्त है। सत्ता में संपूर्ण प्रकृति का संपृक्त रहना ही अस्तित्व सहज अभिव्यक्ति का क्रम, प्रक्रिया, परिणाम, स्थिति और गति हैं। इन तथ्यों से बनाने-बिगाड़ने जैसी कोई वस्तु हो, ऐसा कुछ नहीं है।

सहअस्तित्व ही स्वयं व्यक्त सहज वस्तु है। इसी क्रम में प्रकृति में विकास व जागृति नित्य संभावना के रूप में समीचीन रहता है। यह इस प्रकार से दिखता है कि पदार्थावस्था जब समृद्घ होती है, तब प्राणावस्था में उदात्तीकृत होना एक कार्य, एक घटना, एक वैभव दिखाई पड़ता हैं। जब प्राणावस्था अपने में समृद्घ हो जाता है, वैसे ही जीवावस्था का उपक्रम, स्वेदज विधि से आरंभ होता है। स्वेदज संसार में पाए जाने वाले कुछ वस्तुओं अथवा जीवों में यह प्रक्रिया देखी गई है कि वह अंडज परंपरा के रूप में परिवर्तित हो गई। जैसे- बिच्छू स्वाभाविक रूप में स्वेदज निर्मित ही है। यह अंडज प्रणाली को व्यक्त कर देता है इसी प्रकार और भी संभावनाएँ बनी है।

अंडज परंपरा ही क्रम में पिंडज परंपरा में विकसित होकर अथवा समृद्घ होकर जीव शरीर, मानव शरीर रचना संपन्न होता हुआ वर्तमान में देखने को मिल रहा है। पहले से ही जीवन और शरीर के संबंध को समझा दिये हैं। मानव परंपरा में शरीर का पोषण-संरक्षण एक कार्य गति है, जिसके लिए आहार एक अनिवार्य तत्व हैं। जबकि जीवन के लिए समाधान अथवा सर्वतोमुखी समाधान, प्रामाणिकता सहअस्तित्व ही जागृति का प्रमाण है। जीवन जागृति के क्रम में हैं। शरीर पोषण और संरक्षण क्रम को, जीवन ही स्वीकारा रहता है। जीवन ही भ्रमवश पोषण-संरक्षण को अपना संपूर्ण कार्य मान लेता है। शरीर को जीवंतता प्रदान करने के आधार पर शरीर को ही जीवन समझने लगता है; यही मुख्य रूप में फँसने, भ्रमित होने का मुद्दा है।