भौतिकवाद

by A Nagraj

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संबोधन “स्वयं” अथवा “स्व” है। इस प्रकार जीवन का वैभव ही राज्य है। अस्तु, जीवन का वैभव- स्वराज्य।

जीवन वैभव जागृति की अभिव्यक्ति हैं। जागृति का अर्थ सर्वतोमुखी समाधान एवं प्रामाणिकता है। इसका व्यवहार रूप परिवार परंपरा में समृद्घि, अभय, सहअस्तित्व है। यही एक परिवार से विश्व परिवार तक प्रमाणित होने की वस्तुएँ हैं। इसके क्रियान्वयन क्रम में सर्वमानव के लिए न्याय सुलभता, उत्पादन सुलभता, विनिमय सुलभता लक्ष्य है। इसकी अक्षुण्णता के लिए शिक्षा-संस्कार, स्वास्थ्य-संयम सहज सुलभ रहेगा।

इसको ही ग्राम स्वराज्य व्यवस्था का रूप देने के क्रम में दस सदस्यीय परिवार स्वयं अपने एक परिवार के प्रतिनिधि को, पहचानने की व्यवस्था रहेगी। हर दस (10) परिवार से एक एक सदस्य “परिवार समूह सभा” के लिए निर्वाचन पूर्वक पहचान करेगा। ऐसे दस परिवार समूह सभा अपने में से एक एक व्यक्ति को ग्राम परिवार सभा के लिए निर्वाचन पूर्वक पहचान करेगा। ग्राम सभा में समाहित दस (10) व्यक्तियों में से सभा प्रधान को पहचाने रहेंगे। ग्राम सभा, “स्वराज्य कार्य संचालन” समितियों को, मनोनीत करेगी। ऐसी समितियाँ पाँच होगी-

1. शिक्षा-संस्कार समिति

2. न्याय सुरक्षा समिति

3. स्वास्थ्य संयम समिति

4. उत्पादन कार्य समिति

5. विनिमय कोष समिति

इन सबके अपने-अपने कार्य परिभाषित, व्याख्यायित रहेंगे।

ऊपर कहे स्वराज्य व्यवस्था में सभी समितियाँ सहित ढाँचे का स्वरुप- निम्नलिखित सभी स्तरों में, निर्वाचन कार्य में दस व्यक्तियों के बीच, एक व्यक्ति होगा। ग्राम सभा तक त्रि-स्तरीय समितियाँ होना आवश्यक है। चौथा - ग्राम समूह सभा। पाँचवाँ - क्षेत्र सभा। छठा - मंडल सभा। सातवाँ - मण्डल समूह सभा। आठवाँ - मुख्य राज्य सभा। नवमा - प्रधान राज्य सभा। दसवाँ - विश्व परिवार स्वराज्य सभा। इस विधि से निर्वाचन कार्य में धन या वस्तु लगने की आशंका समाप्त हो जाती है। धन या वस्तु के