जीवनविद्या एक परिचय
by A Nagraj
अभी हमें विज्ञान यह कहकर पढ़ाया जाता है कि जो भी है अव्यवस्था है, अनिश्चित है। इसे पढ़ने के फलस्वरूप हर विद्यार्थी अपने को अव्यवस्था में होना स्वीकार लेते हैं। फलस्वरूप अव्यवस्था को फैलाने में भागीदारी करता है इसका उदाहरण ये पूरी धरती बीमार है। इस धरती में ताप बढ़ रहा है। कारण क्या है? धरती के अन्दर से खनिज, कोयला, तेल निकालने से ताप बढ़ रहा है। कैसे बढ़ गयी, क्यों बढ़ गयी ये वो भी जानते हैं हम भी जानते हैं। कोयला और तेल ही ऐसे पदार्थ हैं जो ताप को अपने में हजम करते हैं। धरती में ताप को हजम करने वाले पदार्थ को निकाल लिया तो धरती का ताप बढ़ना ही है। ताप बढ़ने से क्या हुआ समुद्र का जल-स्तर बढ़ने लगा। पानी का सतह कितना बढ़ सकता है? तो हम जहाँ बैठे हैं वहाँ से दो तीन सौ फीट ऊँचा पानी हो सकता है। कुछ पर्वतों की चोटियाँ बचती है। इस ढंग से हम फँस गये। इसको ठीक करने के लिए सब बड़े-बड़े देश मिलकर आव्हान करते है कि आओ सब मिलकर ठीक करें और शुरूआत किसने किया यह इतिहास स्पष्ट करता है। बिना समझे ईंधन के लिए कोयला और तेल पदार्थ उपयोग किया यह धरती के साथ हुई ज्यादती है और इसकी भरपाई आगे होगी कि नहीं इस ज्यादती के रुकने के बाद ही इसका परीक्षण होगा। यह कैसे रुकेगा इसके बारे में आगे बात करेंगे। धरती पर मानव अधिक व कम तापमान में भी जीना प्रमाणित है। यह अंतर नापना भी संभव हो गया है। इतने तापमान अंतर में रहने वाले आदमियों के शरीर का तापमान एक ही रहता है। ऐसा क्यों? बाहर के ताप अधिक और कम होने से भी शरीर के ताप को संतुलित बनाये रखने के लिए शरीर में वह सब द्रव्य है। इसी प्रकार धरती के ताप को भी संतुलित बनाये रखने के लिए धरती के अंदर खनिज, कोयला और तेल पदार्थ है।
तो अब मुद्दा यह है कि खनिज, कोयला और तेल को निकाले जाने से रोका कैसे जाये? एक उपाय है हमारी धरती पर इतनी नदियाँ बहती हैं जिनके प्रवाह शक्ति से धरती पर जितनी बिजली की आवश्यकता है उससे 50 गुनी बिजली उपलब्ध हो सकती है। इसके लिए प्रवाह बल से बिजली पैदा करने वाले संयंत्र को बनाने की आवश्यकता है। दूसरे कुछ यंत्र ऐसे हैं जो तेल से ही चलेंगे ऐसे यंत्रों के लिए वनस्पति तेल से चलने वाले इंजिन बनाने होंगे। इसके लिए धरती पर तैलीय वनस्पति होती है और अधिकाधिक मात्रा में उसे उगाया जा सकता है। ऐसा मैं