अर्थशास्त्र

by A Nagraj

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दोनों प्रकार के अर्थशास्त्र यह भी मानते आये हैं कि एक इकाई को लाभ होने के लिए दूसरे इकाई को हानि होती है। इसके पश्चात भी दोनों प्रकार से सोचा गया अर्थशास्त्र लाभ-हानि मुक्त अर्थशास्त्र और व्यवस्था को प्रणयन करने में असमर्थ रहे हैं। यही बिन्दु है इस बिन्दु से इंगित विधि से होने वाली पीड़ा के फलस्वरूप अर्थशास्त्र का पुनर्विचार होना एक आवश्यकता के रूप में देखा गया। इसी समस्या के समाधान रूप में आर्वतनशील अर्थशास्त्र को प्रस्तावित करने और प्रणेत प्रेरणा स्त्रोत स्थापित करने का अवसर प्राप्त हुआ।

इस वर्तमान में इस धरती पर मानव परंपरा में लेन-देन का जो क्रियाकलाप है पत्र मुद्रा पर आधारित और गतिशील होना पाया जाता है। पत्र मुद्रा किसी धातु मुद्रा अथवा धातु के तादाद पर आधारित है। यह धातु संग्रहण अथवा धातु कोषालय प्रत्येक राष्ट्र अथवा राज्य के अधीनस्थ मानी जाती है और देखा जाता है। हर वस्तुएं जो मानव से उत्पादित रहता है मानव का सृजनशीलता के प्रमाणों के रूप में देखा जाता है। धातुओं (सोना-चांदी) का संग्रहण स्वयं कोई मानवोपयोगी वस्तु के रूप में दिखाई नहीं पड़ती। औषधियों के रूप में लाखों में एक आदमी इसका उपयोग किया होगा। ऐसे अनुपयोगी वस्तु उपयोगी वस्तु के बीच में मानदंड के रूप में स्वीकारना, भटकाव का आधार हुआ। उसके प्रतीक रूपी पत्र मुद्राएं अनेक तोड़-मरोड़ का रास्ता खोल दी। जिस देश में धातु कोष कम होता गया उस देश के पत्र मुद्रा का मूल्य घटता गया जिस देश का धातु संग्रहण मजबूत होता गया अर्थात् बढ़ता गया उन-उन देश के पत्र मुद्रा का मूल्य बढ़ता गया। जबकि आखों में दिखने के लिए यह सब कागज ही दिखते हैं। प्रतीक मुद्रा, मुद्रा के प्रतीक रूप में छपी इस कागज पर किसी में कुछ नाम संख्या, किसी में कुछ नाम संख्या लिखा रहता है और उनमें एक से हजारों संख्या लिखी रहती है। ऐसे कागजों को वस्तुओं के अनुपलब्ध की स्थिति में, किंवा इसके मूल में जो बहुत सारे धातु कोष रहते हैं, वह सब मिलकर भी एक व्यक्ति के लिए अनाज या एक व्यक्ति का प्यास बुझाने के स्थान पर कार्य नहीं कर सकता। यह एक सामान्य व्यक्ति को हृदयंगम हो सकता है, विद्वान एवं मनीषी व्यक्तियों के बारे में कहना ही क्या? इस प्रकार इस स्वरूप में हम प्रतीक मुद्राओं को दो प्रकार से गणना कर सकते हैं - (1) धातु कोष (2) पत्र कोष। इनका परस्पर तारतम्य धातु कोष के आधार पर पत्र कोष का तादात एक नियंत्रण रूप प्रदान करने के लिए मानव एक रेखा बना लेता है जैसा 100 संख्यात्मक पत्र मुद्रा में