अर्थशास्त्र

by A Nagraj

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प्रतीक वस्तु का प्रतीक वस्तु। जैसे सम्पूर्ण वस्तुओं का एक प्रतीक वस्तु सोना, सोना का प्रतीक वस्तु पत्र मुद्रा देखा गया।

सामान्य आकांक्षा, महत्वाकांक्षा संबंधी वस्तुएं सर्वमानव के लिए आवश्यक है। यह सर्वविदित है। व्यापार विधि से इन वस्तुओं का आदान-प्रदान होता हुआ भी देखने में आता है। ऐसे लेन-देन के माध्यम में पत्र मुद्रा आदि मुद्राओं को देखा जाता है। यही प्रधानत: संग्रह का भी आधार हुआ। पूँजी के रूप में और स्पष्टतया प्रौद्योगिकी उत्पादन का मूल पूँजी प्रतीक मुद्रा मान लिया गया। प्रतीक मुद्रा का ही सर्वाधिक संग्रह होना देखा गया। इस प्रकार उत्पादन के मूल में भी मूल पूँजी को प्रतीक मुद्रा के रूप में स्वीकारा और कृत्रिम अभाव करने के लिए इसकी परमावश्यकता को मान लिया गया। जबकि कृत्रिम अभाव स्वयं लोगों का छलावा होना स्पष्ट है। और उत्पादन के मूल में पूँजी निवेश को प्रतीक मुद्रा ही प्रधान मान लिया। जबकि हर उद्योग उत्पादन, श्रम नियोजन पूर्वक ही सम्पन्न होना देखा गया। इस बात को देखते हुए भी पैसे के लिए मानव श्रम नियोजन करता है। श्रमिकों को पैसे से खरीदा जा सकता है। इसी मान्यता के आधार पर मुद्रा को मूल में रखकर श्रम को अथवा प्रतिभा को खरीदने-बेचने के कार्यक्रम को मानव करता रहा। इन क्रियाकलापों के आधार पर धन का अध्ययन को स्थापित कर लिया। पूँजी निवेश के मूल में लाभ एक अनिवार्य स्थिति बनी। उस अनिवार्यता को बनाए रखने के लिए ब्याज प्रथा और लाभ प्रथा को स्वीकारते हुए विविध प्रणालियों को निर्मित कर लिया। इससे अर्थात् लाभ से हर व्यक्ति सम्मोहित तो हुए। किन्तु लाभ सबको मिलने से रहा। यही आंकलन में मिला। प्रतीक मुद्रा का अथवा प्रतीक मूल्यों का अवमूल्यन क्रम में लाभ का आकार-प्रकार स्थापित हो चुका है जिसको शेयर बाजार कहा जाता है। व्यापार बाज़ार पूँजीनिवेश को मूल ध्रुव मानते हुए, कितना लाभ होना है, उसे पहले से ही स्वीकार करते हुए मूल पूँजी की स्थिति से लाभ पूँजी सहित अंश पूँजियों को व्याख्यायित करने पर क्रम से अंश पूँजी बढ़ता हुआ दिखाई देता है। यह दिखना संस्था के रूप में स्पष्ट है। उसी के साथ-साथ धन को वस्तु में परिणित कराने की स्थिति में हम यह पाते हैं कि किसी वस्तु को 50 वर्ष पूर्व की तुलना में किसी का 100 गुना, किसी का 50 गुना, ‘प्रतीक मूल्य’ बढ़ा हुआ दिखता है। यथा 50 वर्ष पहले एक बोरी सीमेंट का मूल्य 1 रुपए रहा। आज 100 रुपए हो गई। 50 वर्ष पहले सोना 40 रुपए था, अभी 4000 रुपए हो गया। 50 वर्ष पूर्व 1 रुपए में 5 किलो चावल