अर्थशास्त्र

by A Nagraj

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स्वराज्य परिवार सभा व्यवस्था गठित करेंगे। यही निर्वाचित 10 व्यक्ति मिलकर, ग्राम के कम से कम 1000 व्यक्ति में से ही 5 समितियों को मनोनीत करेंगे।

ये 5 समितियाँ क्रम से (1) न्याय-सुरक्षा (2) उत्पादन-कार्य (3) विनिमय-कोष, (4) शिक्षा-संस्कार और (5) स्वास्थ्य-संयम समितियाँ रहेंगी। इसमें मूलत: महत्वपूर्ण मुद्दा यही है परिवार के सभी सदस्यों को स्वयं पर विश्वास, श्रेष्ठता के प्रति सम्मान, प्रतिभा और व्यक्त्वि में संतुलन, व्यवसाय में स्वावलंबी, व्यवहार में सामाजिक योग्य क्षमता-योग्यता-पात्रता को स्थापित करने के उपरांत ही परिवारमूलक स्वराज्य व्यवस्था सभा का गठन करना सहज है। ऐसे 10-10 व्यक्तियों का 10 ग्राम स्वराज्य परिवार सभाओं में से 1-1 व्यक्ति को निर्वाचित करेंगे। ऐसे 10 व्यक्ति मिलकर एक ग्राम समूह परिवार सभा का गठन करेंगे। और इसमें भी पांच आयाम रूपी समितियों को मनोनीत व्यक्तियों से गठित करेंगे। इसी प्रकार क्रम से प्रधान राज्य परिवार सभा का गठन, पाँचों आयाम रूपी समितियों का मनोनयन सम्पन्न होगा। इस धरती पर जितने भी प्रधान राज्य परिवार सभाएं होंगी वे सब अपने-अपने निर्वाचित सदस्यों को पहचानने, इस प्रकार विश्व परिवार सभा व्यवस्था भी मनोनयन पूर्वक 5 व्यवस्था समितियों को गठित करेगा। ये सभी समितियाँ ग्राम से विश्व तक अंतर संबंधित रहना होगा। सभी स्तरीय सभाएं इन पाँचों समितियों का मूल्यांकन करते हुए श्रेष्ठता की ओर कार्य और प्रयोजन पर बल देते रहना बनता है। इस विधि से भविष्य का हर क्षण उत्सवमय होना समझ में आता है।

दसों स्तरीय निर्वाचित सभाओं, सभाओं से मनोनीत समितियों के अंतरसंबंधों को बनाए रखने के लिए संचार, दूरभाष, परिवहन मार्ग, जल, पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने के लिए हर स्तरीय सभाएँ और समितियाँ दायित्व का वहन करेंगे। हर स्तरीय सभा का क्षेत्र एक दूसरे से जुड़ी ही रहेगी। इस प्रकार अंतर संबंधों बाह्य संचारों का आवर्तनशीलता में निरंतर व्यवस्था क्रम सुदृढ़ और मधुरिम होने का स्वरूप समझ में आता है। हर स्तरीय समितियाँ स्थानीय सभी कार्यकलापों को विधिवत समृद्ध बनाते ही रहेंगे। जैसा मकान बनाना, सड़क बनाना, कूप खनन करना, सार्वजनिक प्रयोजनार्थ गृह निर्माण करना, पूरे ग्राम के लिए आवश्यकीय गृह निर्माण वस्तुओं को सुलभ करना, रेल मार्ग, वायु मार्ग, जल मार्ग का व्यवस्था प्रदान करना बना रहेगा।