अर्थशास्त्र

by A Nagraj

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  • परस्पर उपयोगिता पूरकता, उदात्तीकरण के रूप में रचना-विरचना क्रम में उपयोगिता।
  • परमाणु में विकास क्रम में उपयोगिता।

उपयोगिता का स्वरूप निम्न हैः-

  • प्राकृतिक सम्पदा (खनिज, वनस्पति) का उसके उत्पादन के अनुपात में उपयोग संतुलन के अर्थ में।
  • प्राकृतिक सम्पदा के उत्पादन में विघ्न न डालना एवं प्राकृतिक सम्पदा के उत्पादन में सहायक बनना। (नैसर्गिक पवित्रता को समृद्ध बनाए रखे बिना, मानव स्वयं समृद्ध नहीं हो सकता)
  • उत्पादन में न्याय।
  • प्रत्येक व्यक्ति द्वारा आवश्यकता से अधिक उत्पादन करना।
  • प्रत्येक व्यक्ति में आवश्यकता से अधिक उत्पादन करने योग्य कुशलता व निपुणता को स्थापित करना, जिसका दायित्व शिक्षा-संस्कार समिति को होगा।
  • उत्पादन के लिए व्यक्ति में निहित क्षमता योग्यता के अनुरूप उसे प्रवृत करना जिसका दायित्व “उत्पादन कार्य सलाहकार समिति” का होगा।
  • उत्पादन के लिए आवश्यकीय साधनों को सुलभ करना इसका दायित्व “सहकारी विनिमय कोष समिति” का होगा।
  • उत्पादन कार्य सामान्य आकांक्षी (आहार, आवास, अलंकार) महत्वाकांक्षी (दूरदर्शन, दूरगमन, दूरश्रवण) संबंधी वस्तुओं के रुप में प्रमाणित होना।
  • “उत्पादन कार्य सलाह समिति” व “विनिमय कोष समिति” संयुक्त रुप से सम्पूर्ण ग्राम की उत्पादन संबंधी तादात, गुणवत्ता व श्रम मूल्यों का निर्धारण करेगी।
  • विनिमय में न्याय :-
  • उत्पादित वस्तु के विक्रय के लिए क्रय आदान-प्रदान सुलभ करना।

विनिमय प्रक्रिया प्रथम चरण में, श्रम मूल्य को वर्तमान में प्रचलित प्रतीक मुद्रा के आधार पर मूल्यांकित करने की व्यवस्था रहेगी। जैसे स्थानीय उत्पादन को, जहां