अर्थशास्त्र

by A Nagraj

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  • उसको बेचना है, उस मंडी की दरों पर आधारित उसका क्रय मूल्य निर्धारित होगा। ग्राम की आवश्यकता के लिए अन्य बाजारों से, वस्तुओं का विक्रय मूल्य, उन बाजारों के क्रय मूल्य पर आधारित होगा।
  • द्वितीय चरण के श्रम के आधार पर प्रतीक मुद्रा को मूल्यांकन करने की व्यवस्था होगी व उसी के आधार पर क्रय विक्रय कार्य सम्पन्न होगा।
  • तृतीय चरण में श्रम मूल्य के आधार पर, वस्तु मूल्य का मूल्यांकन होगा जिसका आधार उपयोगिता व कला मूल्य ही रहेगा व इसी के अनुसार लाभ, हानि, संग्रह मुक्त पद्धति से विनिमय प्रक्रिया संपन्न होगी। अर्थात् विनिमय प्रक्रिया श्रम मूल्य के आदान प्रदान के रूप में सम्पन्न होगी।

“न्याय सुरक्षा समिति” सुरक्षा कार्य को ग्रामवासियों के तन, मन, धन रूपी अर्थ के सदुपयोग के आधार पर क्रियान्वयन करेगा। जैसे :-

  • ग्राम में सुरक्षा
  • उत्पादन एवं विनिमय सुरक्षा
  • परिवार सुरक्षा
  • मानवीय शिक्षा-संस्कार सुरक्षा
  • स्वास्थ्य संयम सुरक्षा
  • नैसर्गिक सुरक्षा
  • संगीत, साहित्य, कला की सुरक्षा

“न्याय सुरक्षा समिति” ग्राम की सभी प्रकार की सुरक्षाओं के प्रति जागरूक रहेगी।

ग्राम सुरक्षा :-

ग्राम सीमा में निहित भूमि का क्षेत्रफल और उस भूभाग में निहित वन, खनिज, कृषि योग्य भूमि, बंजर भूमि, जल, जल स्रोत, जल संरक्षण, भूमि संरक्षण, सामान्य सुविधा आदि कार्य को सदुपयोग के आधार पर सुरक्षित करना ग्राम सुरक्षा का तात्पर्य है।