अर्थशास्त्र
by A Nagraj
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विवाह पूर्वक स्थापित दाम्पत्य संबंधी जिसका पंजीयन ग्राम सभा में होगा।
दया पूर्ण कार्य :-
- अखण्ड समाज सूत्र सहज मानव मूल्य स्थापित मूल्य व शिष्ट मूल्यों की पहचान और उसका निर्वाह।
- संबंधों की पहचान और निर्वाह क्रम में तन, मन, धन, रुपी अर्थ का अर्पण समर्पण।
- निस्सहाय, कष्ट ग्रस्त, रोग ग्रस्त और प्राकृतिक प्रकोपों से प्रताड़ित व्यक्तियों को सहायता प्रदान करना।
- प्राकृतिक, सामाजिक और बौद्धिक नियमों का पालन आचरण पूर्वक प्रमाणित करते हुए मानवीय परंपरा के लिए प्रेरक होना।
- जो जैसा जी रहा है, कार्य कर रहा है उसका मूल्यांकन करना। जहां-जहां सहायता की आवश्यकता है वहां सहायता प्रदान करना। समझा हुआ को समझाना, सीखा हुआ को सीखाना, एवं किया हुआ को करना ही सहायता का स्वरूप।
- पात्रता हो उसके अनुरूप वस्तु न हो, उसके लिए वस्तु को उपलब्ध कराना ही दया है।
- व्यवहार में न्याय (मानवीय व्यवहार) :-
(मानवीय व्यवहार) मानव तथा नैसर्गिक संबंधों व उनमें निहित मूल्यों की पहचान और उसका निर्वाह करना। मानव परंपरा में मानव संबंध प्रधानतः सात प्रकार से गण्य है :-
- माता - पिता
- पुत्र - पुत्री
- गुरु - शिष्य
- भाई - बहन
- मित्र - मित्र
पति - पत्नी