अर्थशास्त्र
by A Nagraj
स्वरूप है। संबंध, मूल्य, मूल्यांकन विधि से समाज रचना और अखण्ड समाज होना पाया जाता है अथवा संभावनाएं है ही। समाज रचना विधि ही व्यवस्था का आधार है। व्यवस्था का स्वरूप पांचों आयामों में यथा (1) न्याय सुरक्षा, (2) उत्पादन कार्य (3) विनिमय कोष (4) स्वास्थ्य संयम, और (5) शिक्षा संस्कार कार्यकलापों के रूप में प्रमाणित हो पाता है और उसकी निरंतरता संभावित है। सभी आयामों में भागीदारी को निर्वाह करना ही समग्र व्यवस्था में भागीदारी का तात्पर्य है। ऐसी व्यवस्था सार्वभौम होने की संभावना समीचीन है जिसकी अक्षुण्णता मानव परंपरा में भावी है। ऐसी व्यवस्था को कम से कम एक गाँव से आरंभ करना और सभी आयामों में भागीदारी को निर्वाह करने योग्य अर्हता से समूचे ग्रामवासियों को सम्पन्न करना एक आवश्यकता है। ऐसे अर्हता से सम्पन्न परिवार मानव और परिवार कम से कम 100 परिवार के सहअस्तित्व में परिवारमूलक स्वराज्य व्यवस्था समझदारी पूर्वक प्रमाणित हो पाता है। ऐसी परिवार मूलक स्वराज्य व्यवस्था में ही आवर्तनशील अर्थशास्त्र चरितार्थ होना सहज संभव है।
आवर्तनशीलता का तात्पर्य जिस किसी बिन्दु से समृद्धि के अर्थ में प्राकृतिक ऐश्वर्य नैसर्गिकता सहज पूरकता क्रम में लक्ष्यपूर्ति तक और पुन: आरंभिक बिन्दु तक सूत्रित होने से है। यह चक्राकार रूप में चित्रित हो पाता है और प्रमाणित हो पाता है। उदाहरण के रूप में बीज से वृक्ष तक एवं वृक्ष से बीज तक क्रियाकलापों का अध्ययन स्वयं चक्राकार विधियों से ही दिखाई पड़ती है। वंशों के अनुरूप शरीर रचना एवं शरीर रचना के अनुरूप वंश परंपराएं चक्राकार विधि से इंगित होती है। जानने-मानने के आधार पर पहचानना निर्वाह करना एवं पहचानने निर्वाह करने के क्रियाकलापों को जानना-मानना चक्राकार विधि से देखा जाता है। संबंध सूत्रों के आधार पर मूल्य, मूल्य निर्वाह के आधार पर मूल्यांकन, मूल्यांकन के आधार पर संबंध सूत्र आवर्तन रूप में दिखाई पड़ता है। व्यक्ति का पूरकता परिवार में, परिवार का पूरकता व्यक्ति के लिए सूत्रित होना आवर्तनशीलता है। परिवार की पूरकता ग्राम में, ग्राम की पूरकता परिवार के लिए सूत्रित होना आवर्तनशीलता है। श्रम नियोजन पूर्वक उत्पादन, श्रम मूल्य के आधार पर उत्पादित वस्तु का मूल्य और मूल्यांकन, उत्पादित वस्तु का श्रम मूल्य के आधार पर विनिमय आवर्तनशीलता के रूप में प्रमाणित होता है। पदार्थावस्था प्राणावस्था के लिए, प्राणावस्था जीवावस्था के लिए, पदार्थ, प्राण और जीव, ज्ञानावस्था के लिए तथा