मानवीय संविधान
by A Nagraj
बोध = अध्ययनपूर्वक अनुभवगामी क्रम में बोध, अनुभव मूलक विधि से प्रमाण बोध, अनुभव प्रमाण बोध सहअस्तित्व सहज अनुभव प्रमाणों को व्यवहार व प्रयोगों में प्रमाणित करना ही ज्ञान-विवेक-विज्ञान है।
अनुभव = जानने, मानने, पहचानने, निर्वाह करने की संयुक्त क्रिया और जानने, मानने, पहचानने, निर्वाह पूर्वक कार्य-व्यवहार-व्यवस्था में भागीदारी प्रमाणित होने की क्रिया हैं।
6.5 (12) इतिहास
- विकास क्रम, विकास, जागृति क्रम, जागृति सहज परंपरा।
- सत्ता में सम्पृक्त प्रकृति सहज भौतिक, रासायनिक जीवन क्रियाकलाप।
- मानव परंपरा में, से, के लिए जागृति सहज वैभव सर्वशुभ रूप में समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व प्रमाण परंपरा।
- सर्व शुभ, नित्य शुभ सहज वैभव सार्वभौम व्यवस्था परंपरा में, से, के लिए है।
- सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व सहज वैभव रूप में प्रमाण परंपरा है। यही इतिहास का आधार है।
इस धरती पर मानव पीढ़ी से पीढ़ी परंपरा में घटित प्रवृत्ति नियति क्रम का आंकलन सहित जागृति सहज परंपरा आवश्यक है।
जंगल युग से शिला युग
शिला युग से धातु युग
धातु युग से ग्राम-कबीला युग
ग्राम-कबीला युग से राज शासन एवं धर्म शासन युग
राज शासन एवं धर्म शासन युग से लोकतंत्र युग प्रधान रूप में। यह शक्ति केन्द्रित शासन युग रहा।
रहस्य मूलक आदर्शवाद में अस्थिरता-अनिश्चयता मूलक भौतिकवाद में
भक्ति विरक्ति का प्रेरणा, रहस्यमय संग्रह सुविधा का प्रेरणा