मानवीय संविधान
by A Nagraj
6.5 (8) भाषा-विधि = कारण, गुण, गणित
कारण = सहअस्तित्व विधि सहित स्थितिपूर्ण सत्ता में संपृक्त प्रकृति सहज डूबा, भीगा, घिरा स्पष्ट होना।
गुण = उपयोगिता-पूरकता विधि से वस्तु-प्रभाव व फल-परिणाम स्पष्ट होना।
गणित = वस्तु मूलक गणना विधि जोड़ने-घटाने के रूप में स्पष्टता।
स्पष्ट होने का तात्पर्य तर्क समाधान संगत विधि सम्पन्नता पूर्वक समझ पाना और समझा पाने से है और जीने देने एवं जीने के रुप में प्रमाण वर्तमान। जीना अनुभव मूलक मानसिकता सहित कायिक-वाचिक-मानसिक, कृत-कारित-अनुमोदित रुप में।
व्यापक वस्तु में संपूर्ण एक-एक चार अवस्था व चार पदों में स्पष्ट होना भाषा सहज अर्थ है, यह मौलिक अधिकार है।
6.5 (9) साहित्य
साहित्य = यथार्थता-वास्तविकता-सत्यता को प्रयोजनों के अर्थ में कलात्मक विधि से स्पष्ट करने के लिए प्रयुक्त भाषा।
प्रयोजन = हर नर-नारी मानवत्व व्यवस्था एवं समग्र व्यवस्था में पूरकता, नियम, नियंत्रण, संतुलन, न्याय, धर्म, सत्य सहज प्रमाण परंपरा है।
निबंध = निश्चित अर्थ में किया गया एक से अधिक अनुच्छेद रचना।