मानवीय संविधान
by A Nagraj
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मानव केन्द्रित चिंतन विज्ञान, विज्ञान सम्मत पहचान,
ही अस्तित्व दर्शन ज्ञान, विवेक, लक्ष्यगामी दिशा मूल्यों सहज निश्चयन
जीवन लक्ष्य सहित ज्ञान, और मानव लक्ष्य में सहित निर्वाह
मानवीयतापूर्ण आचरण विश्वास और मूल्यांकन
ज्ञान संपन्नता में विश्वास करने में विश्वास
स्वयं में विश्वास (समझदारी) स्वयं स्फूर्त है
स्वयं स्फूर्त विधि से भागीदारी करना ही वैभव है।
वैभव परंपरा ही स्वराज्य है।