मानवीय संविधान

by A Nagraj

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हर नर-नारी में-से-के लिये मानवीयता पूर्ण आचरण स्वीकार होना स्वाभाविक है आवश्यक है।

4.6 (11) मानव

मानवत्व सहज सूत्र व्याख्या रूप में वर्तमान परंपरा

तात्विक = मानवीयता पूर्ण आचरण सहित वर्तमान होने वाला, समाधान, समृद्धि समेत सुख, शान्ति पूर्वक प्रमाणित होने वाला।

बौद्धिक = मनाकार को साकार करने वाला मन:स्वस्थता को प्रमाणित करने वाला है।

व्यवहारिक = मनाकार को साकार करने के क्रम में सामान्य व महत्वाकाँक्षावादी वस्तुओं का उत्पादन करने वाला। मन:स्वस्थता सहज सर्वतोमुखी समाधान रूप में प्रमाणित करने वाला जागृत मानव है, अन्यथा भ्रमित, जागृति क्रम में गण्य मानव है।

मानवीयता सहज सूत्र व्याख्या के रूप में -

  • समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, भागीदारी सहित ज्ञान, विवेक, विज्ञान सम्पन्नता सहित अखण्ड समाज व सार्वभौम व्यवस्था के अर्थ में परंपरा के रूप में प्रमाणित रहना।
  • प्राकृतिक संतुलन को वन, खनिज संतुलन रूप ऋतु संतुलन में नियंत्रित करना, हर मानव में, से, के लिये समाधान समृद्धि को प्रमाणित करना।

अखण्ड समाज सहज सार्वभौम व्यवस्था पूर्वक दश सोपानीय व्यवस्था विधि से प्रमाणित करना। सार्वभौम शुभ ही समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व प्रमाण है।

समझदारी = ज्ञान, विवेक, विज्ञान सम्पन्नता सूत्र व्याख्या है।

4.6 (12) मानवीयतापूर्ण प्रवृत्ति

मानवीयतापूर्ण प्रवृत्ति = पुत्रेषणा, वित्तेषणा, लोकेषणा

पुत्रेषणा = जन-बल कामना प्रवृत्ति

वित्तेषणा = धन-बल (समृद्धि) कामना प्रवृत्ति