मानवीय संविधान

by A Nagraj

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Page 185
  • मैं भ्रम, भय, कुण्ठा, निराशा, पशुता, क्रूरता, द्रोह-विद्रोह, शोषण संघर्ष युक्त अपराध रूपी जीव चेतना से मुक्त जागृत मानव चेतना संपन्न स्वयं की पहचान बनाये रखना चाहता हूँ।
  • अखण्ड समाज सार्वभौम व्यवस्था में स्वयं स्फूर्त विधि से भागीदारी करना चाहता हूँ।
  • सर्वशुभ परंपरा में भागीदारी करने योग्य क्षमता-योग्यता-पात्रता सम्पन्न रहना चाहता हूँ।
  • सर्वशुभ के अर्थ में साथ ही सर्वशुभ सौभाग्य संपन्न होते रहना चाहता हूँ।
  • सर्व शुभ सौभाग्य सुन्दर सुख केवल सर्वतोमुखी समाधान सम्पन्न परिवार सहज प्रमाण मानवीयता पूर्ण आचरण ही है इसमें मैं पारंगत प्रमाण होना चाहता हूँ।

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दश सोपानीय परिवार सभा सदस्यों का आचरण सहज परिभाषा :-

मानवीयता पूर्ण आचरण, सोच, विचार, विज्ञान, विवेक, ज्ञान अनुभव प्रमाण होना रहना

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मानव सहज परिभाषा :-

  • मनाकार को साकार करने वाला वर्तमान में मन:स्वस्थता सहज प्रभाव प्रमाण प्रस्तुत करने वाला है।
  • मन:स्वस्थता में जीने वाला से सोचने वाला अनुभव पूर्ण समझ के रूप में प्रमाणित होने वाला है।
  • मनाकार को उत्पादनों के रूप में प्रमाणित करने वाला है।
  • आहार, आवास, अलंकार, दूरश्रवण, दूरगमन, दूरदर्शन संबंधी वस्तुओं के उपयोग उत्पादन में भागीदारी करने वाला और सदुपयोग प्रयोजनशील प्रमाण प्रस्तुत करना।

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