मानवीय संविधान
by A Nagraj
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- व्यवहार
- मानव और मानवेत्तर प्रकृति सहज परस्परता में निहित संबंध व मूल्यों का नियम, नियंत्रण एवं संतुलन पूर्वक निर्वाह।
- मानव की परस्परता में निहित मूल्यों का निर्वाह।
- एक से अधिक मानव एकत्रित होने पर या होने के लिए किया गया आदान-प्रदान।
- संबंधों में निहित स्थापित मूल्यों में अनुभव सहित शिष्टतापूर्ण पद्धति से सम्प्रेषणा, व्यवसाय मूल्य पूरकता के अर्थ में उत्पादन, उपयोग, सदुपयोग एवं वितरण।
- व्यक्ति
- व्यक्तित्व अर्थात् मानवीयतापूर्ण आचरण सहज अर्थ से किया गया आहार-विहार-व्यवहार सम्पन्न मानव।
- मानव चेतना सम्पन्न आहार, विहार, व्यवहार, प्रतिभा और व्यक्तित्व में संतुलन सहज प्रमाण सम्पन्न समझदार व्यक्ति होने का प्रमाण, जागृति सम्पन्न मानव।
- न्याय
- मानवीयता में, से, के लिए पोषण, संवर्धन व्यवहार में प्रमाण एवं मूल्यांकन क्रियाकलाप।
- संबंधों में निहित मूल्यों सहज पहचान व निर्वाह सहज क्रिया।
- नैतिकता
- नीति-त्रय का अनुसरण।
- तन, मन, धन रूपी अर्थ का सदुपयोग और सुरक्षा।
- नियम
- क्रियापूर्णता सहज आचरण सहित नियंत्रण संतुलित क्रियाकलाप।
- इकाइयों में, से, के लिए नियंत्रण क्रिया।
- नियंत्रण = मानव की परस्परता में न्यायपूर्ण व्यवहार।
मानव