मानवीय संविधान
by A Nagraj
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- दिशा
- ह्रास-विकास।
- परस्पर इकाईयों अथवा ध्रुवों के आधार पर दृष्ट होने वाले कोणों को दिया गया नामकरण स्थिति, गति।
- जागृति की ओर गति (क्रियापूर्णता)।
- गन्तव्य में गति (आचरण पूर्णता)।
- देश
- रचना सहज अवधि = विस्तार।
- धरती स्वयं में सीमित रचना।
- पूर्णता
- परमाणु में गठनपूर्णता, जीवन में क्रियापूर्णता, आचरणपूर्णता = जीवन जागृति।
- अमरत्व, विश्राम, गंतव्य = समाधान = विश्राम।
- प्रभुसत्ता
- प्रबुद्धतापूर्ण सत्ता।
- समझदारी सहित व्यवस्था।
- प्रबुद्धतापूर्ण शिक्षा-संस्कार, न्याय-सुरक्षा, आचरण-व्यवहार, उत्पादन, विनिमय, स्वास्थ्य-संयम व्यवस्था रूपी सत्ता (परंपरा)।
- प्रामाणिकता व समाधान पूर्ण विचार, समाधान व न्यायपूर्ण व्यवहार, न्याय व नियम पूर्ण आचरण, नियम व नियंत्रणपूर्ण उत्पादन और उपयोगिता सहित पूरक विनिमय क्रियाओं को करने, कराने और करने के लिए सहमत होने की प्रक्रिया।
- प्रबुद्धता (मानव चेतना, देव चेतना, दिव्य चेतना में पारंगत)
- ज्ञान, विवेक, विज्ञान सम्पन्नता।
सतर्कता एवं सजगता, निपुणता, कुशलता एवं पाण्डित्य पूर्ण व्यक्तित्व सहज प्रमाण।