मानवीय संविधान
by A Nagraj
पाण्डित्य है। यही मन:स्वस्थता का प्रमाण है। यही दृष्टा पद प्रतिष्ठा का वैभव व जागृति सहज प्रमाण रूप में सौभाग्य है।
उत्पादन के साथ विनिमय अनिवार्य है। आवश्यकता से अधिक उत्पादन विनिमय व्यवस्था का आधार है।
हर समझदार मानव अपने द्वारा किये गये व्यवहार, उत्पादन व सेवा का मूल्यांकन करे जिसमें परिवार जनों की सहमति होना आवश्यक है। यह परिवार व्यवस्था जिसमें हर नर-नारी मानवत्व सहित व्यवस्था सहज प्रमाण है।
द्वितीय स्थिति में एक परिवार समूह सभा (दस परिवारों में ) अपने में मूल्यांकन करेगा जिसमें दस परिवारों में परस्पर सहमति होना आवश्यक रहता है।
तीसरी स्थिति में सौ परिवार परस्परता में से किया गया उत्पादन व व्यवहार का मूल्यांकन होना स्वाभाविक रहेगा। इस स्थिति में सौ परिवार की परस्परता में सहमत होना आवश्यक है। हर परिवार के साथ सौ परिवार सहमति परिवार के समान परिवार समूह का, समूह के साथ ग्राम क्रम से विश्व परिवार सभा में से के लिए समायोजन होना स्पष्ट है।
- चौथी स्थिति दस गांवों का व्यवहार कार्य व उत्पादन सेवा कार्यों का मूल्यांकन सहज सहमत होना आवश्यक रहेगा।
ग्राम-मोहल्ला परिवार सभा तक प्रत्येक परिवार का मूल्यांकन, स्वीकृति व सहमति आवश्यक है क्योंकि विश्व परिवार सभा तक सभाओं में मूल्यों का मूल्यांकन में तालमेल एक आवश्यकता है, जिसमें मूल्यांकन में सहमति 'दश सोपानीय व्यवस्था’ स्वीकार और सार्थक हो सके।
प्रत्येक और सम्पूर्ण मानव में, से, के लिए मानवत्व सहित व्यवस्था में भागीदारी ही है।
मानवीयता पूर्ण आचरण मूल्य, चरित्र, नैतिकता का संयुक्त रूप है –
मूल्य = जाग्रत मानव परस्परता में जीवन मूल्य, मानव मूल्य, स्थापित मूल्य, शिष्ट मूल्यों का वर्तमान व प्रमाण।
चरित्र = स्वधन, स्वनारी-स्वपुरूष, दयापूर्ण कार्य व्यवहार।