व्यवहारवादी समाजशास्त्र
by A Nagraj
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- के अनुरूप अस्तित्व दर्शन, जीवन ज्ञान को स्वीकृति के रूप में स्वानुशासन के रूप में स्वतंत्रता को; समग्र व्यवस्था में भागीदारी के रूप में स्वराज्य व्यवस्था को प्रमाणित करता है। यही मानव सहज परिभाषा का सार्थकता, उपकार, तृप्ति और उसकी निरंतरता है। अस्तु, मानव अपने परिभाषा सहज सार्थकता को प्रमाणित करना ही मौलिक अधिकार है।
1.5 मानवीयतापूर्ण आचरण सहजता, मानव में स्वभाव गति है, मानवीयतापूर्ण आचरण, मूल्य, चरित्र, नैतिकता का अविभाज्य अभिव्यक्ति, संप्रेषणा व प्रकाशन है। यह मौलिक विधान है।
व्याख्या - मानवीयतापूर्ण आचरण मूल्य, चरित्र, नैतिकता का पूरक विधि सम्पन्न प्रमाण है। सम्पूर्ण प्रमाण वर्तमान सहज वैभव है। मानव परंपरा में मूल्यांकित, प्रमाणित होने वाले सम्पूर्ण मूल्य पाँच वर्गों में और तीस संख्या में देखने को मिलता है। यथा -
जीवन मूल्य चार हैं :- 1. सुख 2. शांति 3. संतोष 4. आनन्द।
मानव मूल्य छः हैं :- 1. धीरता 2. वीरता 3. उदारता 4. दया 5. कृपा 6. करूणा।
स्थापित मूल्य नौ हैं :- 1. कृतज्ञता 2. गौरव 3. श्रद्धा 4. प्रेम 5. विश्वास 6. ममता 7. वात्सल्य 8. स्नेह 9. सम्मान।
शिष्ट मूल्य नौ हैं :- 1. सौम्यता 2. सरलता 3. पूज्यता 4. अनन्यता 5. सौजन्यता 6. उदारता 7. सहजता 8. निष्ठा 9. अरहस्यता/स्पष्टता।