भौतिकवाद
by A Nagraj
शक्तियाँ अक्षय होने के कारण आवश्यकताएँ सीमित होने के कारण आवश्यकता से अधिक उत्पादन होता है। फलत: समृद्घि का अनुभव होना संभव है।
5. परिवार मानव समाधान-समृद्धि पूर्वक प्रमाण है जो अर्थ (तन, मन, धन) का सदुपयोग-सुरक्षा करता है। यह जागृति का प्रमाण है। फलस्वरुप उद्योगों को मानव सहज आवश्यकता के अनुरुप निर्वाह करना सहज हो जाता है।
मानव परंपरा जब से जागृत परंपरा के रूप में प्रामाणिक हो जावेगी, उसी मुहूर्त से नैसर्गिक और वातावरण संतुलन के लिए जागृति होना स्वाभाविक है। जैसे ईंधन (ऊर्जा) स्रोतों को उपयोग करने के क्रम में और इनके उपयोग के तादाद तरीके के आधार पर ही पर्यावरण संबंधी समस्या ग्रस्त होना अथवा समाधानित होना पाया जाता है। इस मुद्दे पर संतुलन का आधार ऊर्जा स्रोत के रूप में खनिज, कोयला और तेल को पहचाना गया। वह प्रदूषण के लिए सर्वाधिक कारक तत्व सिद्घ हुआ। इससे यह ज्ञानार्जन होता है या मानव की समझ में आता है कि अन्य प्रकार के ऊर्जा स्रोतों से आवश्यक कार्य करना चाहिए। ऐसी ऊर्जा स्रोत सूर्य ऊर्जा और प्रवाह शक्ति के रूप में बड़ी तादाद में दिखाई पड़ती हैं। इन दो स्रोतों को सर्वाधिक उपयोग करने की विधि को, तरीके को तत्काल खोज लेना चाहिए। इन दो स्रोतों में से प्रवाह शक्ति को, विद्युत चुम्बकीय शक्ति में परिवर्तित करना शीघ्र आरंभ करना चाहिए। फलत: खनिज तेल और कोयले को उपयोग करने की आवश्यकता न हो। इसी के साथ और ऊर्जा स्रोत जैसे - गोबर गैस, कचरा गैस के रूप में जो पहचाना गया, उसकी वृद्घि किया जाना चाहिए। जिससे ईंधन और मार्ग प्रकाश दोनों पूरा हो सके। इसी बीच में सौर ऊर्जा को उपयोग करने के उपकरणों का निर्माण और उसकी सुलभ उपलब्धियों के संबंध में संपूर्ण जन मानस को जागृत करना आवश्यक है।
मानव जागृत परंपरा सहज रूप में जीने के क्रम में शरीर को निरोग रखना भी एक कार्य है। इस क्रम में जो संक्रामक, आक्रामक विधियों से जो कुछ भी परेशानियाँ देखने को मिलती हैं, उसके निवारण के लिए सर्वत्र सहज रूप में पाई जाने वाली जड़ी-बूटी आदि घरेलू वस्तुओं से बहुत सारे रोगों को ठीक करने का अधिकार हर परिवार में स्थापित कर लेना सहज है। क्योंकि परिवार मूलक स्वराज्य व्यवस्था क्रम में स्वास्थ्य-संयम कार्यक्रम प्रत्येक परिवार का एक दायित्व है। इस क्रम में पवित्र आहार पद्घति एक