भौतिकवाद

by A Nagraj

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अंशकालीन, अर्धकालीन या पूर्णकालीन उत्पादन कार्य आज की तिथि में धनोपार्जन कार्य की ओर गतिशील होना पाया जा रहा है। इसी प्रकार अंशकालीन उत्पादन कार्य अथवा धनोपार्जन कार्य अथवा अर्धकालीन उत्पादन कार्य अथवा धनोपार्जन कार्य जिन जिन समुदायों के हाथ में है, वे पूर्णकालीन धनोपार्जन कार्य में व्यस्त होने के लिए गतिशील है। पूर्णकालीन उत्पादन कार्य अथवा धनोपार्जन कार्य जिनके पास है वे संग्रह कार्य में संलग्न होते दिखाई पड़ रहे हैं।

अभी तक के मानव के संपूर्ण इतिहास में अर्थोपार्जन और संग्रह एक प्रधान कार्य सा, लक्ष्य सा और उपलब्धि सा दिखाई पड़ता है। इसी आधार पर नेतृत्व करने वालों को देखने पर अभी तक राजनेता और धर्मनेता ही मानव समाज में दृष्टिगोचर हुए हैं। इनकी सफलता और असफलता का आधार भी एक ही है, वह है वस्तु संग्रह। इस प्रकार सफल राजनेता वही है जो सर्वाधिक धन संग्रह करते है और आम जनता को कड़ी मेहनत का पाठ पढ़ाते हैं। इसी के साथ धन संग्रह न करने की सफाई प्रस्तुत करते ही रहते हैं। दूसरे जो धर्म नेता होते है वे भी अपार धन संग्रह करते है तो भी इन लोगों के प्रति संसार के आम लोगों की आस्था बनी रहती हैं। ये लोगों को त्याग और वैराग्य का पाठ पढ़ाते रहते हैं। स्वयं अपने को परोपकारी, त्यागी और असंग्रही घोषित करते रहते हैं।

(6) राजनैतिक इतिहास

शक्ति केन्द्रित शासन के एकाधिकार, उसकी अक्षुण्णता को, उसकी एकता-अखण्डता और प्रभाव को “राज्य” माना। ऐसे एकाधिकार तत्व को पहचानने गए तब मूल में “ईश्वर ही सर्वशक्ति केन्द्रित सत्ता है”- ऐसा मान लिया गया। फलस्वरुप ईश्वर को सर्वशक्तिमान नाम भी दिया गया।

जब ईश्वर को पहचाने जाने की बात आई, तब ईश्वर को मानव द्वारा पहचानना संभव नहीं हुआ क्योंकि मानव एक बहुत छोटी चीज और ईश्वर एक बहुत बड़ी चीज है। तब एक युक्ति निकल आई - वह यह कि ईश्वरीय महिमा अनुग्रह और निग्रह के रूप में है इसको हर व्यक्ति पहचान सकता है। इस प्रकार के आश्वासन को तत्कालीन विद्वानों