जीवनविद्या एक परिचय

by A Nagraj

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स्रोत सफलता का आधार यही है कि हर व्यक्ति व्यवस्था में जीना चाहता है। भ्रम पर्यन्त व्यवस्था का मूल तत्व भय और प्रलोभन है। जागृति के अनन्तर मूल्य, मूल्यांकन और उभयतृप्ति को पहचानना जिसके लिए समझदारी को विकसित करने की आवश्यकता है।

जय हो ! मंगल हो !! कल्याण हो !!!

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