जीवनविद्या एक परिचय
by A Nagraj
है। इस ढंग से ये चारों एक दूसरे से जुड़ने पर चार समस्याओं के बदले एक समाधान होता है। आदमी समस्याओं से लद गया है। समस्या भर दिखता है आदमी का तो पता ही नहीं है। इसका गवाही है ये राजनैतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक समस्याएँ अंत हीन होकर आदमी को ढक दिया है। हर आदमी हर पीढ़ी का समस्या से दब कर कराहते-कराहते अंत हो जाता है। इसके बदले व्यवहारात्मक जनवाद एक ऐसा प्रतिपादन है व्यवहार से मनुष्य समाधानित होता है। व्यवहार हम दो स्थितियों में ही करते हैं एक नैसर्गिक संबंध एवं एक मानव संबंध। नैसर्गिक संबंधों में हम कितने भी व्यवहार करेंगे, नियम, नियंत्रण, संतुलन के अर्थ में करेंगे उससे हम समाधान पाते है नहीं तो समस्या से ग्रसित होते ही है, जैसा अभी ग्रसित हो चुके हैं। हम बिना सुझ-बूझ के कुछ भी प्रौद्योगिकी कर्म किये हैं, धरती का पेट फाड़ा फलस्वरूप कष्टग्रस्त हैं ही। इन समस्याओं के कारण मानव इस धरती पर रहेगा, नहीं रहेगा यह प्रश्न चिन्ह बन ही चुका है? मेरे देखने के अनुसार हर मानव, हर स्थिति, हर गति में समाधानित हो सकता है यही व्यवहारात्मक जनवाद में प्रतिपादन की बात है। इसका सार बिन्दु यही है संबंध, मूल्य, मूल्यांकन, उभय तृप्ति। इसी के चलते सर्वतोमुखी समाधान हमें मिलता है। आर्थिक समाधान मिलता है, आवर्तनशील विधि से। सांस्कृतिक विधि मिलता है मानव संचेतनावादी मनोविज्ञान से। मनुष्य ज्ञानावस्था की इकाई है वह संज्ञानशीलता से ही आपने को प्रमाणित कर पाता है। संबंध होना वर्तमान में विश्वास होना। व्यवस्था में जीना और सहअस्तित्व को प्रमाणित करना। इस ढंग से व्यवहारात्मक जनवाद सर्वतोमुखी समाधान के अर्थ में प्रतिपादित है।
प्रश्न :- फ्रायड ने एक प्रतिपादन प्रस्तुत किया जिसमें उसने आदमी की तमाम इच्छाओं को एक बिन्दु पर केन्द्रित कर दिया, वह है ‘काम (सेक्स)’। आज दुनिया में इस विचारधारा को तमाम लोगों ने अघोषित या घोषित रूप से स्वीकार कर लिया है लेकिन हम देखते हैं कि उससे सारी दुनिया में आदमी के बारे में एक स्पष्ट और समाधानकारी चिंतन और परिणाम नहीं मिला। आपने मानव संचेतनावादी मनोविज्ञान की बात कही है। यह मनोविज्ञान किस तरह से फ्रायड के