जीवनविद्या एक परिचय
by A Nagraj
उत्तर :- कोई चीज निष्फल होता है तो सफलता के लिए प्रयास किया जा सकता है। लक्ष्य विहीनता, दिशा विहीनता की स्थिति में जो मानव फंस गया है वह दिशा और लक्ष्य से वंचित तो हो ही गया और उसके कारण उसके योजना और कार्यक्रम में भी निश्चितता नहीं बन पाती। कार्यक्रम की निश्चयता तभी बन पाती है जब लक्ष्य स्थिर हो, दिशा निश्चित हो। इसमें तात्विक रूप में विवेक सम्मत विज्ञान, विज्ञान सम्मत विवेक दोनों का तालमेल एक संगीत के रूप में, एक गति के रूप में हमको मिल जाता है। यही मुख्य बात है। अभी जो लाभोन्माद रूपी अर्थ व्यवस्था का लक्ष्य खोजने जायेंगे तो लक्ष्य केवल संग्रह, सुविधा, भोग, अतिभोग ही है जिसका निश्चयन कभी भी होना ही नहीं है। संग्रह-सुविधा का कोई तृप्ति बिन्दु नहीं है। इस धरती पर रहने वाले 700 करोड़ मनुष्य या कोई भी एक आदमी को संग्रह-सुविधा का तृप्ति बिंदु मिलता नहीं पाये हैं और न पा सकते हैं, न प्रमाणित कर सकते है। यही दिशा विहीनता व लक्ष्य विहीनता का गवाही है।
यदि लक्ष्य और दिशा निश्चित होती है तो हमारा कार्यक्रम भी निश्चित ही होता है। लाभोन्माद इसलिए कहा कि इसमें कभी भी तृप्ति नहीं होना है किन्तु, सदा-सदा के लिए हाय-हाय के साथ जुटे रहना है इसका नाम उन्माद बताया। हाय-हाय के स्वरूप को मैंने देखा है आप भी देख पाते होंगे। हाय-हाय का विस्तार ज्यादा बढ़ता जाता है, कम होता नहीं। तो हाय-हाय के विस्तार को बढ़ाकर हम कौन सा लक्ष्य पा जायेंगे, कहाँ पहुँचकर तृप्ति पायेंगे? उसके बाद संग्रह-सुविधा हम पा भी जायें तो उसका नियोजन, भोग, बहुभोग, अतिभोग की सीमा में ही हो पाता है और उसका कोई गम्य स्थली है भी नहीं। आज तक भोग से तृप्ति पाना किसी को हुआ नहीं। इन दोनों गवाहियों से हम निष्कर्ष पाये हैं कि ये उन्माद नहीं तो और क्या चीज है। इस प्रकार के उन्माद से 700 करोड़ आदमी उन्मादित होगा इससे छूटाने वाला कौन? इस प्रश्न को दूर करने के क्रम में ही अनुसंधानपूर्वक प्रत्येक मानव सर्वशुभ सुख चाहते हैं, निश्चय चाहते हैं, निरंतरता चाहते हैं। यही सब मिला करके अनुसंधान की वस्तु है। उसके पक्ष में अर्थव्यवस्था भी एक अंश है। तन, मन, धन रूपी अर्थ होता है। तन भी होगा, मन भी होगा, धन भी होगा इन तीनों में से किसी एक को अलग करके अर्थशास्त्र होता नहीं। जबकि अभी तक पढ़ाये हुए अर्थशास्त्र के अनुसार मुद्रा को अर्थ बताया है। मुद्रा दो प्रकार का बताया (1) धातु मुद्रा (2)